कहावत है कि खेलोगे, कूदोगे, होगे खराब, जो आज के समय में कुछ हद तक गलत भी है लेकिन ये बात तो आज भी सच है कि जो जितनी कठिन पढ़ाई में अव्वल होता है, उसका भविष्य उतना ज्यादा सुरक्षित हो जाता है। आईआईटी के उन छात्रों पर यह बात पूरी तरह लागू होती है, जो गरीबों, जरूरतमंद लोगों के इस्तेमाल लायक चीजों की खोज के लिए इनोवेश की ऐसी कठिन शिक्षा ले रहे हैं, जो आम छात्रों के वश की बात नहीं।
आईआईटी के छात्र रिक्शे वालों की सुविधा के लिए ऐसे मॉडल तैयार कर रहे हैं, जिस पर रिक्शा चालक काम से थक जाने के बाद थोड़ा आराम भी कर सके। इसके लिए आईआईटी दिल्ली के छात्रों ने स्वयं रिक्शे चलाए, थक जाने पर रिक्शे पर सो जाने के तरह तरह से स्वयं उपक्रम किए। इसके लिए उन्होंने जानने की कोशिश की कि रिक्शे की सीटों का कैसा मॉडल तैयार किया जाए। आईआईटी दिल्ली के कोर्स इन्क्लूसिव इनोवेशन फैकल्टी के हेड प्रोफेसर पीवी मधुसूदन राव कहते हैं कि अब तक इस तरह के कोर्स आईआईटी के सैकड़ो स्ट्युडेंट कर चुके हैं।
ऐसे छात्र दिल्ली की कंस्ट्रक्शन साइटों पर जाकर मजदूरों के साथ बिताते हैं। उनसे उनके ईंट-पत्थर उठाने से लेकर भारी भरकम चीजें उठाने के काम के तरीके जानते हैं ताकि उनकी समस्या कम करने की कोई तकनीक पता करना आसान हो। उन्ही छात्रों ने एक ऐसा उपकरण का प्रोटो टाइप बनाया, जिसमें मजदूर बगैर झुके सामान उठा लें। सम्यक जैन ने दिल्ली में मजदूरों के साथ काम किया है। पत्थर ढोए हैं। आईआईटी के तमाम छात्रों ने राजस्थान के लहसुन उत्पादक किसानों के साथ काम किया है। उसके बाद छात्रों ने ऐसा बिजनेस इनोवेशन मॉडल डेवलप किया, जिससे किसान समूह बनाकर बिचौलियों के खेल से बचने के लिए खुद लहसुन स्टोर कर सकें। इस प्रक्रिया का परिणाम ये है कि गरीब व मजदूर तबके से संबंधित 50 से ज्यादा इनोवेशन पिछले पांच साल में यहां हो चुके हैं। यही नहीं इस कोर्स को लेने वाले करीब एक चौथाई छात्र कॉर्पोरेट कंपनी केप्लेसमेंट में हिस्सा लेने की बजाय उन संस्थाओं से जुड़े जो सामाजिक क्षेत्र में काम कर रही हैं।