उत्तर प्रदेश के दो शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद आईएएस और आईपीएस अफसरों के बीच अधिकारों को लेकर आखिरकार ‘जंग’ शुरू ही हो गई है। यह फिलहाल ट्विटर पर है, जिसमें दो आईपीएस अफसर खुलकर सामने आ चुके हैं। दरअसल विवाद की शुरुआत ‘आईएएस फ्रैटर्निटी’ नामक ट्विटर हैंडल से किए गए एक ट्वीट से हुई। इस पर सबसे पहले यह ट्वीट किया गया कि ‘जिलों के एसएसपी डीसीपी बनने को आतुर।’
इसमें उन आईपीएस अफसरों को निशाना बनाया गया है, जो जिलों में एसएसपी रहने के बाद डीसीपी बना दिए गए हैं। इसके बाद यह ट्वीट भी किया गया कि गाजियाबाद जिले का कोई भी एएसपी नोएडा के डीसीपी (एसएसपी) से ज्यादा पॉवरफुल है। इतना ही नहीं ‘आईएएस फ्रैटर्निटी’ नामक ट्विटर हैंडल से यह टिप्पणी भी की गई कि लखनऊ में नगर आयुक्त पद पर कार्यरत एक पीसीएस अफसर लखनऊ में नियुक्त दो संयुक्त पुलिस आयुक्तों (आईजी रैंक) से ज्यादा पॉवरफुल है।
आईपीएस अफसरों को चिढ़ाने वाला यह ट्वीट सामने आने के बाद दूसरे तरफ से भी प्रतिक्रिया होने लगी। एक आईपीएस ने जवाब में ट्वीट किया कि हमें अधिकारों के संघर्ष की भावना से ऊपर उठना चाहिए। जनता की सेवा करना हमारा सबसे प्रमुख और एकमात्र लक्ष्य है। बाद में एक एडीजी भी इस विवाद में कूदे। उन्होंने डीसीपी को ट्विट करते हुए कहा- ‘मैं तुमसे बहुत ज्यादा सहमत नहीं हूं। पहले लोगों को नए सिस्टम के जरिए सुविधा और सुरक्षा का बोध होने दो।’ इस वाद-विवाद में कुछ अधिवक्ताओं समेत आम लोगों ने भी प्रतिक्रियाएं दीं। फिलहाल ‘आईएएस फ्रैटर्निटी’ नामक ट्विटर हैंडल ने यह कहते हुए अपनी तरफ से बहस का पटाक्षेप किया- ‘शुभकामनाएं! मेरा आशय यह है कि पुलिस सुधारों का असर थानों पर दिखना चाहिए।
गौरतलब है कि हाल ही में योगी सरकार ने नोएडा और लखनऊ में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू किए जाने का ऐलान किया है।
पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के फैसले को एक ओर जहां जमकर सराहा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर रार भी बढ़ी है। लखनऊ नगर व नोएडा (गौतमबुद्धनगर) में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद से आइएएस और आइपीएस संवर्ग के बीच तनातनी जैसा माहौल है। सोशल मीडिया पर दोनों संवर्ग के अधिकारियों के बीच ताने-तंज भी शुरू हैं। चुटकी ली जा रही है कि इस व्यवस्था में आइपीएस के पास पीसीएस अधिकारियों से भी कम अधिकार होंगे। कई रिटायर्ड आईएएस अधिकारी दबी जबान में इसे जिलाधिकारियों के अधिकारों में कटौती बता रहे हैं। रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने कहा है कि अधिकारों में हुए बड़े बदलाव के बाद क्रास इक्जामिन का सिस्टम खत्म हो जायेगा। कानूनी भाषा में समझें तो सीआरपीसी की मैजिस्ट्रियल पावर वाली कार्रवाई अब तक जिला प्रशासन के अफसरों के पास थी, वह अब पुलिस कमिश्नर को मिल जाएगी. सीआरपीसी की धारा 107-16, 144, 109, 110, 145 का क्रियान्वयन पुलिस कमिश्नर कर सकेंगे।