रेलवे ने कहा है कि लॉकडाउन के कारण फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने के लिए डेस्टिनेशन स्टेट से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। गृह मंत्रालय ने प्रवासी मजदूरों के उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने हेतु रेलवे के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है। इसके बाद अब जहां ट्रेन का सफर खत्म होगा, उस राज्य की अनुमति लेना अनिवार्य नहीं है।
‘खबरी’ ने जिस बात का अंदेशा जताया था, आखिर वही बात सामने आ गई है। गृह सचिव ने सुझाव दिया है कि राज्यों एवं रेल मंत्रालय के बीच सक्रिय समन्वय के माध्यम से और विशेष रेलगाड़ियों का प्रबंध किया जाए। उसाफ-सफाई, भोजन एवं स्वास्थ्य की जरूरत को ध्यान में रखते हुए ठहरने की जगहों की भी व्यवस्था की जानी चाहिए। बसों एवं ट्रेनों के प्रस्थान के बारे में और अधिक स्पष्टता होनी चाहिए क्योंकि स्पष्टता के अभाव में और अफवाहों के चलते प्रवासियों में बेचैनी देखी गई है।
गौरतलब है कि रेलवे प्रवासियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए 1 मई से 1565 स्पेशल ट्रेनों का संचालन कर चुका है। सरकार का दावा है कि इन ट्रेनों से 20 लाख से अधिक प्रवासियों को उनके घर पहुंचाया गया है। रेलमंत्री पीयूष गोयल कह चुके हैं कि रेलवे ने प्रवासी मजदूरों के लिए 1200 ट्रेनें उपलब्ध कराई हैं लेकिन कई राज्यों की सरकारें प्रवासियों को घर भेजने के लिए अनुमति नहीं दे रही हैं।
इस बीच केंद्र ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से प्रवासियों को लाने-ले जाने के लिए रेलवे के साथ करीबी समन्वय कर और विशेष रेलगाड़ियां चलाने को कहा है। साथ ही कहा है कि महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों का खास ख्याल रखा जाए। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रशासनों को भेजे पत्र में कहा है कि फंसे हुए कर्मियों के घर लौटने की सबसे बड़ी वजह कोविड-19 का खतरा और आजीविका गंवाने की आशंका है।
उन्होंने पत्र में कहा, ‘प्रवासी मजदूरों की चिंताओं को दूर करने के क्रम में, अगर निम्न कदमों को लागू किया जाता है तो मैं आभारी रहूंगा।’