उत्तराखंड में लगातार बढ़ते जा रहे कोरोना संक्रमण को लेकर स्थितियां अजीबोगरीब और बेहद दुखद होती जा रही हैं। इसके साथ ही नैनाताल हाईकोर्ट में अब तक तमाम याचिकाएं पहुंचने के साथ ही न्यायपालिका लगातार सरकार को अपने आदेश-निर्देशों से सक्रिय-सावधान भी कर रही है। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज और उनके परिजनों-परिचितों के संक्रमित होने के बाद राज्य का मंत्रिमंडल खुद बचाव की मुद्रा में आ गया है, ऐसे में अब राज्य की सरकारी मशीनरी भी काफी दबाव में मानी जा रही है।
इस बीच उमेश कुमार की जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट ने हवाई सेवा से आने वाले प्रवासियों से भेदभाव मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद केंद्र सरकार, राज्य सरकार के अलावा मुख्य सचिव, नागरिक उड्डयन सचिव को नौ जून तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष पेश उस याचिका की सुनवाई हुई, जिसमें कहा गया है कि फ्लाइट से आने वाले प्रवासियों के साथ भेदभाव हो रहा है।
इसके साथ ही, क्वारंटीन सेंटरों की बदहाली पर भी हाईकोर्ट राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कह चुका है कि प्रवासियों को क्वारंटीन के नाम पर होटलों में रखा जा रहा है और उनके ठहरने व खाने पीने का खर्चा उनसे ही वसूला जा रहा है, जबकि अन्य यात्रियों का खर्चा राज्य सरकार खुद वहन कर रही है। याचिकाकर्ता की ओर से इस मामले में केंद्र व राज्य के साथ साथ प्रदेश के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, नागरिक उड्डयन सचिव व देहरादून के जिलाधिकारी को पक्षकार बनाया गया है। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सभी पक्षकारों को नौ जून तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
हाईकोर्ट की फटकार के बाद हरकत में आई उत्तराखंड सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में क्वारंटीन सेंटरों के रखरखाव, सैनिटाइजेशन और अन्य सुविधाओं के लिए 49 करोड़ रुपये की धनराशि जारी कर दी है। शासन की ओर से जारी धनराशि के तहत नैनीताल, ऊधमसिंह नगर, देहरादून, टिहरी, हरिद्वार, पौड़ी और अल्मोड़ा को तीन-तीन करोड़ रुपये जारी किए हैं। इसके अलावा बाकी छह जिलों को दो-दो करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। कुल मिलाकर 33 करोड़ रुपये जिलाधिकारियों को जारी कर दिए गए हैं। इसके अलावा चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को अलग से 16 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
हाईकोर्ट ने ग्रामीण क्षेत्रों में क्वारंटीन सेंटरों की बदहाली पर नाराजगी जताते हुए सरकार को ग्राम प्रधानों को बजट जारी करने के लिए कहा था। कोर्ट ने जिला विधिक प्राधिकरण की रिपोर्ट के आधार पर यह आदेश जारी किया था और सरकार से यह भी कहा था कि दो सप्ताह में सुधार कर जवाब दाखिल करें। इससे पहले शासन की ओर से सभी 13 जिलों को पांच-पांच करोड़ रुपये जारी किए गए थे और चिकित्सा शिक्षा विभाग को 20 करोड़ रुपये जारी किए गए थे। शासन ने अब पेयजल योजनाओं की मरम्मत के लिए जल संस्थान को 20 करोड़ रुपये और लोक निर्माण विभाग को 30 करोड़ रुपये जारी किए हैं।
इस बीच एक नई सूचना ये सामने आ रही है कि अब अन्य राज्यों से हरिद्वार आने वाले सभी प्रवासियों के सैंपल नहीं लिए जाएंगे। यह आदेश आज बुधवार से लागू भी कर दिया गया। अब केवल बीमार या संक्रमित मरीज के संपर्क में रहने वालों के साथ 65 साल की आयु से अधिक व्यक्ति का सैंपल लिया जाएगा। सरकार ने अन्य राज्यों से आवागमन शुरू होने के बाद से सभी को संस्थागत या होम क्वारंटीन कराते हुए सभी प्रवासियों की सैंपलिंग की जानी शुरू की थी। नियमानुसार चार जनपदों के प्रवासियों को हरिद्वार में 14 दिन क्वारंटीन करने के दौरान उनके सैंपल लेकर जांच को भेज दिए जा रहे थे, लेकिन अब आईसीएमआर की नई गाइड लाइन का हवाला देते हुए सीएमओ डॉ. सरोज नैथानी ने सैंपलिंग लेने के प्रावधान में बदलाव किया है।
सीएमओ का कहना है कि आईसीएमआर की गाइड लाइन के अनुसार ही अन्य राज्यों से आने वाले प्रवासियों के सैंपल कुछ शर्तों के आधार पर लिए जाएंगे। इसमें व्यक्ति की आयु 65 वर्ष से अधिक हो या गर्भवती महिला, जिनके प्रसव का अंतिम महीना चल रहा हो या किसी बीमारी का इलाज कराकर प्रदेश में आया हो। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से जैसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन, दमा आदि के अलावा कोरोना के प्राथमिक लक्षण खांसी, जुखाम, गले में दर्द, सांस लेने में परेशानी हो तो ही उसके सैंपल लिए जाएंगे।