उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा ‘रेड जोन’ से आ रहे लोगों को राज्य की सीमा पर ही पृथक-वास में भेजने संबंधी आदेश के अनुपालन को ‘व्यावहारिक नहीं’ बताते हुए राज्य मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को फैसला किया कि इस मामले में अदालत को अपनी स्थिति से अवगत कराया जाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को जानकारी देते हुए राज्य के कैबिनेट मंत्री और शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि चूंकि प्रवासी बड़ी संख्या में आ रहे हैं, इसलिए राज्य की सीमाओं पर इनके लिए टैंट लगाना तथा अन्य व्यवस्थाएं कर पाना व्यावहारिक नहीं है। ‘इस संबंध में सरकार अपनी स्थिति से अदालत को अवगत कराएंगी।’ जिलों में पृथक-वास की अच्छी व्यवस्थाएं हैं। पांच लाख लोगों के राज्य में लौटने की संभावना है।
नैनीताल स्थित उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बुधवार को राज्य सरकार को ‘रेड जोन’ से आने वाले लोगों को प्रदेश की सीमा पर ही पृथक-वास में भेजने के निर्देश दिए थे। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि राज्य सरकार हर सीमा बिंदु पर पृथक-वास केंद्र स्थापित करने और उसे संचालित करने का हर संभव प्रयास करेगी। उन पृथक-वास केंद्रों में रेड जोन से आने वाले सभी लोगों को एक सप्ताह के लिए रखा जाएगा और इनमें से जिनके भी लक्षण दिखेंगे, उनका आइसीएमआर के दिशानिर्देशों के तहत आरटी-पीसीआर परीक्षण कराया जाएगा।
न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा था कि हम लोगों के आगमन के विरूद्ध नहीं हैं । उनका यहां आने का पूरा अधिकार है । हमारी चिंता केवल यह है कि इस मुश्किल समय में सीमाओं पर सही ढंग से जांच हो।