उत्तराखंड में अलकनंदा नदी के बाएं तट पर नर और नारायण नामक दो पर्वतों के बीच स्थित बदरीनाथ धाम अपनी अनोखी छटा के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। देश के प्रमुख चार धामों में शामिल बदरीनाथ धाम का कपाट 17 नवंबर 2019 को शाम 5:13 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिया गया था। अब कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कपाट खोलने की तिथि वसंत पंचमी पर नरेंद्र नगर स्थित टिहरी दरबार में तय होगी। फिलहाल, परंपरानुसार आज सोमवार को विधि-विधान के साथ गाडू घड़ा यात्रा नृसिंह मंदिर से नरेंद्रनगर के लिए रवाना हो गई।
सोमवार को गाडू घड़ा की पांडुकेश्वर के योगध्यान मंदिर में विशेष पूजा की गई और गाडू घड़ा नृसिंह मंदिर लाया गया। यहां पूजा-अर्चना के बाद गाडू घड़ा को नरेंद्रनगर के लिए रवाना किया गया। परंपरा के अनुसार इस कलश को डिमरी के लोग ले जाते हैं। नरेंद्रनगर पहुंचने पर वसंतपंचमी के दिन बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि निर्धारित की जाएगी। इस अवसर पर हेमचंद्र डिमरी, नरेश डिमरी, टीका प्रसाद डिमरी, अनुज डिमरी, मुकेश डिमरी डिमरी पंचायत से मौजूद रहे। इनके साथ ही बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल, उप मुख्य कार्याधिकारी सुनील तिवारी, धर्माधिकारी भुवनचंद उनियाल, अपर धर्माधिकारी सत्य प्रसाद चमोला, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी गिरीश चौहान, वेदपाठी रवि भट्ट, भूपेंद्र रावत, कृपाल सनवाल, कुलदीप भट्ट और संजय भट्ट आदि मौजूद थे।