ऐसी सूचनाएं किसी की भी आंखें नम कर सकती हैं। इस समय ऑस्ट्रेलिया वक़्त के सबसे भयानक थपेड़ों से जूझ रहा है। उसके जंगलों में 136 जगह लगी भीषण आग से 1.4 करोड़ हेक्टेयर इलाका स्वाहा हो चुका है। अब तक 28 लोगों की मौत के साथ हजारों घर और सौ करोड़ से ज्यादा वन्य प्राणी मर चुके हैं। इतने सब के बावजूद अगर इंसानियत और प्रकृति जिंदा रहे तो कोई भी पुनर्रचना दोबारा संभव हो जाती है, जैसे कि राख हो चुके जंगलों में जमीन से फिर कोपलें फूटने लगी हैं और दुनियाभर से 33 हजार लोग मदद के लिए आस्ट्रेलिया पहुंच गए हैं। उन्होंने राहत सामग्रियों से कम्युनिटी हॉल से लेकर फुटबॉल मैदान तक सब भर दिया है। एक हजार करोड़ रुपए आस्ट्रेलिया को दान में मिल चुके हैं। ऑस्ट्रेलियाई कॉमेडियन सेलेस्ट बार्बर ने तो फेसबुक के प्लेटफॉर्म से 355 करोड़ रुपए जुटा लिए। लोग राशन, पानी, कपड़े, जूते, दवाओं जैसी रोजमर्रा की चीजें भी लगातार आस्ट्रेलिया भेज रहे हैं। नॉर्थ विक्टोरिया की महिला फायर फाइटर्स रात-दिन आग बुझाने में जुटी हैं।
उधर, ऑस्ट्रेलिया जंगलों में सितंबर 2019 से लगी आग अब तक लगभग 63 हजार वर्ग किलो मीटर जमीन का पूरा पारिस्थितिक तंत्र खाक कर चुकी है। ठूंठ तनों, राख से सराबोर जमीन से कोपलें फूट रही हैं। यह जंगल में जीवन लौटने का संकेत है। दुख की घड़ी में इस मुट्ठी भर सुख की तस्वीरें 71 वर्षीय फोटोग्राफर मरे लोबे ने अपने कैमरे में कैद कर ली हैं। मरे लोबे जब न्यू साउथ वेल्स के सेंट्रल कॉस्ट स्थित कुलनुरा में अपने घर की हालत देखने गए तो वहां आग लगी हुई थी। अब उस क्षेत्र में कुदरत ने अपना मेक ओवर शुरू कर दिया है। जले हुए पौधों के तनों और जड़ों से नई हरी पत्तियां वाले पौधें और कोपलें निकल रही हैं। उनका रंग गुलाबी जैसा है। जमीन में कई छोटे पौधे उगने लगे हैं।