माउंटेन फाइटिंग सबसे कठिन होता है। उत्तराखंड, लद्दाख, गोरखा, अरुणाचल और सिक्किम में इन जवानों के सामने कोई टिक नहीं सकता है। इसीलिए लद्दाख में चीन के धोखे के बाद बाद भारत अब उसे घेरने के लिए पैंगोग शो झील से लेकर गलवान घाटी तक पहाड़ों पर लड़ने में कुशल जवानों को तैनात कर रहा है। इन सबके बीच भारत ने चीन से लगती 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर ऊंचाई वाले इलाकों में लड़ने के लिए प्रशिक्षित जवानों की तैनाती कर दी है। ये जवान ड्रैगन सेना की पश्चिम, मध्य या पूर्वी सेक्टर में किसी भी हिमाकत का करारा जवाब देने के लिए तैयार हैं।
लेह में भारत के मिग-29 और अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टर तैनात करने के बाद चीन ने भी लद्दाख से सटे अपने दो एयरबेस होटान, नग्यारी, शिगात्से (सिक्किम के पास) और नयिंगची (अरुणाचल प्रदेश के पास) में बड़े पैमाने पर फाइटर जेट, बमवर्षक विमान और हेलिकॉप्टर तैनात कर दिए हैं। यही नहीं चीन की सेना ने पेंगांग सो झील पर फिंगर 4 के आगे भारतीय सैनिकों को गश्त से रोकने के लिए अपनी आक्रामक कार्रवाई और निगरानी को बढ़ा दिया है। चीन की ताजा हरकत से भारत के देपसांग, मुर्गो, गलवान, हॉट स्प्रिंग, कोयूल, फूकचे और देमचोक को खतरा का काफी बढ़ गया है। भारत ने भी चीन की इस चुनौती से निपटने के लिए अपनी तैयारी काफी बढ़ा दी है। बताया जा रहा है कि दोनों ही सेनाओं के बीच आज बैठक हो रही है। इससे पहले 6 जून को इसी तरह की बैठक हुई थी।
उधऱ, चीन ने ऊचाईं वाले इलाके में उड़ान भरने में अनुकूल लड़ाकू विमान जे-11 और जे 16एस को लद्दाख से सटे इलाकों में तैनात किया है। चीन का शेययांग जे 11 रूस की सुखोई एसयू 27 का चीनी वर्जन है। यह फाइटर प्लेन एयर सुपीरियर होने के साथ दूर तक हमला करने में सक्षम है। इधर, चमोली (उत्तराखंड) से जुड़ी चीन सीमा का जायजा लेने के लिए जोशीमठ में सेना के उच्च अधिकारी पहुंचे हुए हैं। आज सुबह उन्होंने भारत-चीन सीमा की अग्रिम चौकियों का निरीक्षण करने के लिए उड़ान भरी। सेना के अधिकारी दो हेलिकॉप्टर में नीति घाटी और एक हेलिकॉप्टर में माणा की ओर निकले।