टूरिस्ट वीजा लेकर यूएई पहुंचने वाले भारतीय कामगारों को बाद में समझ आता है कि वह किस जाल में फंस गए हैं. वे पुलिस अधिकारियों के पास जाकर अपने शोषण की शिकायत भी नहीं कर सकते क्योंकि फिर पुलिस को पता चल जाएगा कि वे गैरकानूनी तरीके से नौकरी कर रहे हैं. इससे ना सिर्फ उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा बल्कि कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ेगा. यह सब कितने बड़े पैमाने पर हो रहा है, इस बारे में अभी ज्यादा जानकारी नहीं है क्योंकि टूरिस्ट वीजा का ब्यौरा भारत और यूएई के माइग्रेशन या रोजगार रिकॉर्ड्स में नहीं होता लेकिन कामगारों, पुलिस और वकीलों का कहना है कि यूएई में यह समस्या लगातार बढ़ रही है. इस खाड़ी देश में लगभग तीस लाख भारतीय कामगार काम करते हैं, जिन्हें झटपट बड़ी निर्माण परियोजना पर काम करने के लिए रखा जाता है.
एंप्लॉयर्स और रिक्रूटर्स ने मिल कर ये नया टूरिस्ट वीजा रूट निकाला है. अनुमानतः पिछले साल जुलाई से आंध्रा के लगभग दस हजार लोगों को यूएई में काम मिला और वे टूरिस्ट वीजा पर वहां गए. अक्टूबर में होने वाली दुबई एक्सपो 2020 वर्ल्ड फेयर जैसे आयोजनों से पहले यूईए में थोड़े समय के लिए बुलाए जाने वाले कामगारों की संख्या बढ़ जाती है. इस तरह के आयोजन घपला करने वालों के लिए बड़े मौके साबित होते हैं. भारतीय कामगार रोजगार की तलाश में खाड़ी देशों में दशकों से जाते रहे हैं लेकिन उन्हें टूरिस्ट वीजा पर बुलाया जाना एक नया चलन है.
दुबई की अदालतों में प्रवासी मजदूरों के केसों पर काम करने वाली अनुराधा ने 2018 से कम से कम 270 ऐसे कामगारों की मदद की है जिन्हें टूरिस्ट वीजा पर लाया गया और पूरा वेतन नहीं दिया गया. वर्क परमिट जहां दूतावास जारी करते है और इससे पहले पूरी कागजी कार्यवाही होती है, वहीं टूरिस्ट वीजा होटल और एयरलाइन बेचती हैं जिसके चलते कामगारों के पास कोई अधिकार नहीं होते और उन्हें नौकरी पर रखने वाली कंपनी या लोग सभी जिम्मेदारियों से मुक्त होते हैं. एयरपोर्ट पर ही कामगारों के पासपोर्ट एजेंट ले लेता है और महीनों तक उन्हें पासपोर्ट नहीं मिलता लेकिन वे कई महीनों तक बिना वेतन काम करते रहते हैं क्योंकि उन्हें डर सताता है कि कहीं उनके गैरकानूनी तरीके से काम करने की बात पुलिस तक ना पहुंच जाए.
सरकार के आंकड़े बताते हैं कि 2016 से 2019 के बीच विदेशों में नौकरी संबंधी भारतीय कामगारों की शिकायतें तीन गुना बढ़ कर 600 से ज्यादा हो गई हैं. खाड़ी देशों में सफाई कर्मचारी से लेकर भवन निर्माण के क्षेत्र में काम करने वाले बहुत से भारतीयों का कहना है कि उन्होंने अपने शोषण और बकाया वेतन को लेकर सरकार और सामाजिक संस्थाओं से बात की है. यूएई में रजिस्टर्ड 80 लाख प्रवासी कामगारों में एक तिहाई से ज्यादा भारतीय हैं. हालांकि आधिकारिक तौर पर यूएई जाने वाले भारतीय कामगारों की संख्या में अब कमी आ रही है. इसकी वजह एक तरफ आर्थिक तंगी है तो दूसरी तरफ टूरिस्ट वीजा का बढ़ता हुआ इस्तेमाल है.
जो लोग वैध तरीके से जाते हैं, उनकी पूरी तरह सुरक्षा की जाती है क्योंकि उन्हें नौकरी देने वाली कंपनी का पूरा ब्यौरा मौजूद होता है लेकिन कुछ छोटी कंपनियां पैसा बचाने के चक्कर में टूरिस्ट वीजा पर लोगों को बुला लेती हैं।