इस समय दिल्ली में विधानसभा चुनाव की 70 सीटों पर आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की राजनीतिक प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। पार्टियां फिलहाल अपने अपने उम्मीदवारों के नाम फाइनल करने में व्यस्त हैं। आम आदमी पार्टी अपने सभी निवर्तमान विधायकों को मैदान में उतार रही है लेकिन भाजपा और कांग्रेस की तस्वीर अभी सामने नहीं आई है। गौरतलब है कि दिल्ली में अगले महीने आठ फरवरी को मतदान है, जिसके नतीजे 11 फरवरी को घोषित हो जाएंगे।
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ने जा रहे हैं। उन्होंने 2013 में इसी सीट पर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री स्व.शीला दीक्षित को 25 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया था। जहां तक भाजपा की बात है, उसने अभी अपने मुख्यमंत्री पद के दावेदार का नाम ही ओपेन नहीं किया है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी कहते हैं कि वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं और फिलहाल उन्हें पार्टी ने दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़वाने की जिम्मेदारी दे रखी है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल भी साफ-साफ कुछ बताने से बच रहे हैं। पार्टी की अंदरूनी खुसर-फुसर में इनमें से ही किसी के सीएम पद के दावेदार होने की संभावना है। वैसे कहा जाता है कि जब भी भाजपा ने दिल्ली के सीएम पद के कंडिडेट का नाम चुनाव के समय घोषित किया है, उसे मैदान में करारी मात खानी पड़ी है। उधर, कांग्रेस के तीन नेताओं प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन और कैंपेन कमिटी के चेयरमैन कीर्ति आजाद का कहना है कि वह तो चुनाव ही नहीं लड़ना चाहते हैं। ऐसे में पार्टी किसे सीएम पद का दावेदार घोषित करने वाली है, अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है।
इस बीच, अभी हाल ही में एबीपी न्यूज-सी वोटर के ऑपिनियन पोल में दिल्ली में एक बार फिर आम आदमी पार्टी की जबरदस्त जीत की भविष्यवाणी की गई है। यह सर्वे 1 जनवरी 2020 से 6 जनवरी 2020 तक किया गया। सर्व का सैंपल साइज 13,076 था। इस सर्वे के मुताबिक 70 विधानसभा सीटों वाली दिल्ली में आम आदमी पार्टी पिछली बार की ही तरह एकतरफा जीत हासिल कर सकती है। उसको 70 में से 59 सीटें मिल सकती हैं, जो पिछली बार की 67 सीटों के मुकाबले 8 कम हैं। पिछली बार 3 सीट जीतने वाली भाजपा के इस बार भी दहाई का आंकड़ा नहीं छूने का अनुमान जताया गया है। उसे 8 सीटें मिल सकती हैं जो पिछली बार से 5 ज्यादा है। पिछली बार खाता तक नहीं खोल पाने वाली कांग्रेस के इस बार भी निराशाजनक प्रदर्शन का अनुमान है। सर्वे के मुताबिक कांग्रेस इस बार खाता खोलते हुए तीन सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। गौरतलब है कि 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में बहुमत के लिए 36 सीटों की जरूरत होती है।