छत्तीसगढ़ के सभी शैक्षणिक संस्थानों में अब हर सोमवार संविधान पर चर्चा की जाएगी। स्कूलों में प्रार्थना के बाद संविधान में उल्लेखित विभिन्न कर्तव्यों और अधिकारों के साथ नीति निर्धारक तत्वों के बारे में बताया जाएगा। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के बाद स्कूलों में संविधान पढ़ाने वाला छत्तीसगढ़ तीसरा राज्य होगा। राज्य शासन के स्कूल शिक्षा विभाग ने इस संबंध में शुक्रवार को आदेश जारी कर दिए हैं। इस संबंध में प्रदेश के सभी संभाग के आयुक्त और जिला कलेक्टरों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संविधान दिवस के अवसर पर विधानसभा के शीतकालीन सत्र में घोषणा की थी। इसमें कहा गया था कि शैक्षणिक संस्थाओं में छात्र-छात्राओं को संविधान की जानकारी देने के लिए प्रत्येक सोमवार को कार्यक्रम होंगे। जिससे बच्चों को इसकी समुचित जानकारी हो सके। जारी निर्देश के अनुसार, माह के प्रथम सप्ताह में संविधान की प्रस्तावना पर चर्चा होगी, दूसरे सप्ताह में उल्लेखित मौलिक अधिकार, तीसरे सप्ताह में मौलिक कर्तव्य और चौथे सप्ताह में राज्य के नीति निदेशक तत्व पर चर्चा की जाएगी।
दरअसल, संविधान की प्रस्तावना को लेकर स्कूलों में जानकारी देने का मामला नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध के साथ ही शुरू हुआ। सबसे पहले महाराष्ट्र सरकार ने स्टूडेंट्स को प्रस्तावना पाठ कराने का आदेश जारी किया। राज्य सरकार के एक परिपत्र में कहा गया है कि प्रस्तावना का पाठ ‘संविधान की संप्रभुत्ता, सबका कल्याण’ अभियान का हिस्सा है। सरकार का यह आदेश 26 जनवरी से सभी स्कूलों में लागू हो जाएगा। वहीं इसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने भी सरकारी स्कूलों में हर शनिवार संविधान की उद्देशिका का वाचन कराने के आदेश दिए हैं।।
उधर, उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लखनऊ यूनिवर्सिटी राजनीति शास्त्र विभाग ने पाठ्यक्रम में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है। राजनीति शास्त्र विभागाध्यक्ष शशि शुक्ला का तर्क है कि यह वर्तमान का सबसे बड़ा समसामयिक विषय है। इसके बारे में छात्रों को जानने की और लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। वहीं, इस प्रस्ताव पर बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट करके नाराजगी जताते हुए ट्वीट किया है- ”सीएए पर बहस आदि तो ठीक है लेकिन कोर्ट में इस पर सुनवाई जारी होने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित। बसपा इसका सख्त विरोध करती है तथा यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेगी।”