कोरोना आपदा के दौर में आजादी के बाद एक अभूतपूर्व वाकया अहमदाबाद (गुजरात) के सिविल अस्पताल में हुआ है, जहां कोरोना मरीजों और संदिग्धों के लिए 1,200 बेड की व्यवस्था हिंदू और मुस्लिम मरीजों के लिए अलग-अलग वार्ड में विभाजित कर दी गई है। कुल डेढ़ सौ में से कम से कम 40 मरीज मुस्लिम समुदाय से हैं। अस्पताल का कहना है कि ऐसा सरकार के कहने पर किया गया है जबकि सरकार इससे इनकार कर रही है। मरीजों के मुताबिक, रविवार 12 अप्रैल की शाम को आइसोलेशन वार्ड में हिंदू-मुस्लिम के आधार पर उन्हें बांटा गया। सिविल अस्पताल में अब तक 150 कोविड-19 मरीज हैं. जबकि 36 और लोगों का कोरोना वायरस के संक्रमण लिए टेस्ट किया गया है।
एक मुस्लिम मरीज के परिजनों के मुताबिक, रविवार की शाम अस्पताल प्रशासन ने उन्हें कहा कि हिंदू और मुस्लिम मरीज अलग अलग वार्ड में रहेंगे। मुस्लिम मरीजों को तुरंत ही वहां से हटा दिया गया। अस्पताल अधीक्षक डॉ. गुणवंत एच राठौड़ ने एक अंग्रेजी अखबार से कहा कि यह काम राज्य सरकार के दिशा निर्देश के आधार पर किया गया है। उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल ने इस घटना की जानकारी होने से इनकार कर दिया है।
सूत्रों के मुताबिक अस्पताल प्रशासन ने शुरुआत में 28 मरीजों का नाम बुलाकर उन्हें दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिया। ये सभी मरीज मुसलमान थे। अस्पताल प्रबंधन के इस कदम से काफी विवाद पैदा हो गया है। यह अब तक साफ नहीं हो पाया है कि किसके निर्देश पर सिविल अस्पताल ने यह कदम उठाया।