नागरिकता संशोधन कानून का मुद्दा अभी ठंडा नहीं पड़ा है। दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले 20 दिनों से प्रदर्शन हो रहा है। कई राज्यों में विपक्षी इस कानून को वापस लेने पर अड़े हैं, जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह साफ कर चुके हैं कि यह कानून किसी भी सूरत में वापस नहीं होगा। इस बीच दिल्ली पुलिस ने मान लिया है कि उसने पिछले महीने दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया में सीएए के विरोध में छात्रों के हिंसक मार्च पर हवाई फायरिंग की थी।
जांच में पुलिस का दावा है कि उसकी गोली किसी को नहीं लगी। जो वीडियो सामने आया था वो सही था वो मथुरा रोड का ही है। पुलिस का दावा है उसमें जो पुलिसकर्मी फायरिंग करते हुए दिख रहे हैं, वह अपने सेल्फ डिफेंस में हवाई फायरिंग कर रहे हैं क्योंकि वहां बहुत ज्यादा पथराव हो रहा था और पुलिसकर्मी चारों तरफ से घिर गए थे। गौरतलब है कि जामिया की कुलपति नजमा अख्तर इस मामले में दिल्ली पुलिस के अफसरों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा चुकी हैं।
उधर, कानून के विरोध को लेकर ही असम के एक डिटेंशन सेंटर में रहने वाले 55 वर्षीय नरेश कोच की गतदिवस मौत हो गई। पुलिस ने इस संबंध में कहा था कि उन्हें 22 दिसंबर को बड़े स्ट्रोक के बाद गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। नरेश कोच पिछले तीन वर्षों में डिटेंशन सेंटर में मरने वाले 29वें व्यक्ति हैं। सरकार के मुताबिक, साल 2016 से लेकर अक्टूबर 2019 तक डिटेंशन सेंटर में रहने वाले 28 लोगों की मौत हुई है। नवंबर महीने में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया था कि 22 नवंबर 2019 तक 988 विदेशियों को असम के छह डिटेंशन सेंटर में डाला गया है। अपडेटेड नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स में लगभग 19 लाख लोगों को बाहर कर दिया गया है।
इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा है कि यूपी में सदफ जफर, पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी और पवन राव को हिंसा के मामले में उनके खिलाफ बिना किसी सबूत के गिरफ्तार किया जाना शर्मनाक है। पुलिस ने चौंकाने वाली स्वीकारोक्ति की है कि उनकी संलिप्तता का कोई साक्ष्य नहीं है। यह चौंका देने वाली बात है। यदि ऐसा था तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार ही क्यों किया और मजिस्ट्रेट ने सबूत देखे बिना उन्हें हिरासत में कैसे भेज दिया?