दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी (जेएनयू) से सवाल किया कि जब कक्षाएं नहीं हुईं तो ऑनलाइन परीक्षाएं लेने का क्या उद्देश्य है। कोर्ट ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा कि यदि कोई कक्षाएं नहीं हुईं तो उनका क्या मूल्यांकन किया जाएगा? क्या उनका मूल्यांकन इसके आधार पर होगा कि पुस्तकों में क्या लिखा है। जस्टिस राजीव शकधर ने यूनिवर्सिटी से सवाल किया, ‘कक्षाएं नहीं हुईं तो परीक्षाएं लेने का क्या उद्देश्य है, जब छात्रों को शिक्षित नहीं किया गया? परीक्षाओं का उद्देश्य इसका मूल्यांकन करना होता है कि छात्रों ने क्या सीखा है।’
जेएनयू के मॉनसून सेमेस्टर के लिए ऑनलाइन ओपन बुक या होम एग्जाम लेने के निर्णय को छात्रों और जेएनयू के कई प्रफेसर ने चुनौती दी है। अदालत ने जेएनयू के विभिन्न स्कूल और विशेष केंद्रों के बोर्ड ऑफ स्टडीज से इस बारे में सिफारिशें देने के लिए कहा है कि मॉनसून सेमेस्टर की बाकी कक्षाएं कैसे हो सकती हैं और परीक्षाएं कैसे ली जा सकती हैं? अदालत ने बोर्ड से कहा कि वह अपनी सिफारिशें जेएनयू के शैक्षणिक परिषद को भेजे और उसकी एक प्रति 4 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई से पहले अदालत में पेश करे।
प्रफेसर और छात्रों ने 2019 मानसून सेमेस्टर के लिए अंतिम सेमेस्टर परीक्षाएं वैकल्पिक तरीके से कराने के जेएनयू के निर्णय को चुनौती दी है। जेएनयू ने फैसला किया है कि वह मॉनसून सेमेस्टर के लिए प्रश्नपत्र यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर अपलोड करके या उसे ईमेल से छात्रों को भेजकर और उत्तर पुस्तिकाएं ईमेल और वॉट्सऐप मेसेज के जरिये प्राप्त करके लेगा।
जामिया के सत्तर उपद्रवियों की शिनाख्त
दिल्ली पुलिस ने पिछले महीने न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में शामिल 70 लोगों का स्केच जारी किया है। पुलिस ने इससे पहले कुछ गिरफ्तारियां की थीं और अब तोड़फोड़, आगजनी और पथराव करने में शामिल लोगों के स्केच जारी किए गए हैं। पुलिस ने इन 70 लोगों पर इनाम भी घोषित किया है।
पुलिस ने अपने बयान में कहा, ‘मामले की जांच न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाना की क्राइम ब्रांच और एसआईटी द्वारा की जा रही है। जिन लोगों की तस्वीर ऊपर है उन सभी की 15 दिसंबर के उपद्रव/दंगों में सक्रिय भूमिका रही है। जो इन लोगों के बारे में सूचना देगा उन्हें इनाम दिया जाएगा।’
उल्लेखनीय है कि सीएए के अस्तित्व में आने के बाद 15 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के पास लोग सड़क पर उतर आए थे। जिस दौरान प्रदर्शनकारियों को खूब बवाल काटा था। गुस्साई भीड़ ने पहले तो पुलिसकर्मियों पर पथराव किया और उन्होंने फिर साउथ दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में डीटीसी की चार बसों में आग लगा दी। इसके अलावा 100 प्राइवेट वाहनों और पुलिस की 10 बाइक में भी तोड़फोड़ किया। पुलिस ने इस संबंध में कुछ लोगों को अरेस्ट भी किया है।
इस दौरान पुलिस लाउडस्पीकर से अपील करती रही कि वे पत्थर न मारें, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने एक नहीं सुनी और वाहनों में जमकर तोड़फोड़ की। इससे जुड़ा विडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था जिसमें कुछ लोग प्राइवेट वाहनों से पेट्रोल चोरी करते दिखाई दिए हैं जिनका इस्तेमाल उन्होंने बसों को आग के हवाले करने में किया था।
बाद में पुलिस जामिया यूनिवर्सिटी परिसर में घुसी थी जिनपर स्टूडेंट्स के साथ मारपीट करने के आरोप लगे हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पुलिस पर बिना इजाजत परिसर में घुसने और स्टूडेंट्स पर कार्रवाई के आरोप लगाए थे। यूनिवर्सिटी ने इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिसने पुलिस को ऐक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे।
जेएनयू छात्र शरजील पांच दिन की पुलिस कस्टडी में
भीड़ को संबोधित करते हुए ‘पूर्वोत्तर को भारत से अलग करने’ की बात कहने वाले जेएनयू के पीएचडी स्टूडेंट शरजील इमाम को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 5 दिन की कस्टडी में भेज दिया है। क्राइम ब्रांच को शरजील की कस्टडी मिली है। शरजील को मंगलवार को जहानाबाद से अरेस्ट किया गया है। शरजील के वकील ने दावा किया था कि उसने सरेंडर किया, जिसे पुलिस ने खारिज कर दिया था। दिल्ली पुलिस को कल ही उसकी ट्रांजिस रिमांड मिली थी।
उधर, पहले ऐसी खबर थी कि उसे पटियाला हाउस कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा, जिससे वहां का माहौल तनावपूर्ण बना हुआ था। इस दौरान कुछ वकीलों ने शरजील के खिलाफ नारेबाजी की और उनके हाथों में पोस्टर थे जिसमें शरजील को ‘देशद्रोही’ कहा गया था। वकीलों ने उसे फांसी देने की मांग की। अदालत परिसर के बाहर सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए थे। एक वकील ने कहा, ‘हम यहां उसके खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए हैं जो देश को तोड़ने की बात करता है। सभी वकील ऐसे देशद्रोहियों के खिलाफ एकजुट हैं। उसे जेल से बाहर रहने का हक नहीं है। उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।’