दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि कुछ अस्पताल कोविड मरीजों को भर्ती करने से मना कर रहे हैं। बेड आवंटित करने के लिए पैसे मांग रहे हैं। उनहें बख्शा नहीं जाएगा। दिल्ली सरकार कोविड मरीजों के लिए उपलब्ध बैडों पर नजर रखने के लिए हरेक निजी अस्पताल में मेडिकल पेशेवर तैनात करेगी। उन्होंने बताया कि दिल्ली में कोविड-19 की जांच नहीं रुकी है। 36 सरकारी और निजी प्रयोगशालाएं जांच कर रही हैं। वह स्वयं चिह्नित प्राइवेट अस्पतालों के मालिकों को बुलाकर समझा रहे हैं कि उन्हे 20 फीसदी बेड तो कोरोना पीड़ितों के लिए रखने ही होंगे, वरना उनके सारे बेड कोरोना के लिए अधिग्रहीत कर लिए जाएंगे।
गौरतलब है कि सोशल मीडिया से लेकर विपक्ष तक की ओर से सवाल उठाए जाने लगे तो सीएम ने कुछ कड़े फैसले किए हैं। दिल्ली में अब किसी भी संदिग्ध केस को अस्पताल वापस नहीं लौटा सकेंगे। सीएम ने कहा कि दिल्ली के कुछ अस्पतालों की पॉलिटिकल पार्टीज से सेटिंग हैं और वे बदमाशी कर रहे हैं। इसके बाद चेतावनी भरे लहजे में केजरीवाल ने कहा कि मरीज का इलाज अस्पताल को करना ही होगा। अगर ऐसा नहीं किया तो हम उनके खिलाफ ऐक्शन लेंगे। सीएम ने एसिम्प्टोमेटिक संदिग्धों से कहा कि वे टेस्ट न कराएं क्योंकि इससे लोड बढ़ेगा।
सीएम ने आज शनिवार को बताया कि उनसे ‘एक व्यक्ति ने शिकायत की थी कि प्राइवेट अस्पताल में कोरोना मरीज भर्ती करने के लिए दो लाख रुपए मांगे गए। दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं में प्राइवेट अस्पतालों ने अहम भूमिका निभाई है लेकिन कुछ चंद प्राइवेट अस्पताल हैं जो इस महामारी के दौरान गलत हरकतें कर रहे हैं। पहले कहते हैं बेड नहीं है, फिर पैसे की डिमांड करते हैं। इसको बेड की ब्लैक मार्किंटिंग नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे?’
केजरीवाल ने कहा कि मंगलवार को हमने इस बारे में जांच के लिए ऐप लॉन्च किया। बकौल केजरीवाल, ‘इस ऐप में पता चल जाता है कि किस अस्पताल में कितने बेड हैं, कितने वेंटिलेटर्स हैं। फिर तो जो बवाल हुआ।’ उस ऐप के ऊपर अस्पताल खुद अपडेट कर रहा है। सीएम ने कहा कि कुछ पावरफुल प्राइवेट अस्पतालों की सभी पार्टियों में पहुंच है। उन अस्पतालों का कहना चाहता हूं कि आपको कोरोना के मरीजों का नियमों के हिसाब से इलाज करना ही होगा। कुछ दो-चार अस्पताल इस गलतफहमी में हैं कि वे ब्लैक मार्किंटिंग कर लेंगे, उन अस्पतालों को बख्शा नहीं जाएगा। कल से एक- एक अस्पताल के मालिक को बुला रहे हैं और पूछ रहे हैं, बता रहे हैं कि उन्हे 20 फीसदी बेड तो रखने ही होंगे, नहीं तो उनके सारे बेड कोरोना के लिए अधिगृहीत कर लिए जाएंगे। दिल्ली में अब किसी भी संदिग्ध मरीज को इलाज से मना नहीं किया जाएगा। उसका टेस्ट अस्पताल कराएगा। अगर टेस्ट पॉजिटिव आता है तो कोरोना वॉर्ड में एडमिट होगा, नहीं तो सामान्य वॉर्ड में इलाज होगा।’
सीएम ने बताया कि दिल्ली में अभी तक 6 लैब्स ठीक से काम नहीं कर रही थीं इसलिए उनके खिलाफ ऐक्शन लिया गया। 36 लैब अभी भी काम कर रही हैं। सीएम ने पूछा कि ‘गलत काम करने वाली लैब को बचाने की क्यों कोशिश की जा रही है? उन्होंने कहा कि ‘अस्पतालों के फ्लू क्लिनिक में टेस्ट होता है। कोविड सेंटरों पर टेस्ट होता है। 36 प्राइवेट लैब्स में टेस्ट हो रहा है। टेस्ट पूरे देश में से सबसे ज्यादा दिल्ली में हो रहे हैं। जितनी भी टेस्टिंग कैपिसिटी कर लें, कम है। यहां की आबादी दो करोड़ है।’