रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को उत्तराखंड में वर्चुअल (ऑनलाइन) रैली की। इस दौरान उन्होंने कहा कि लिपुलेख में रोड बनने के कारण नेपाल को जो भी गलतफहमी हुई है, उसे बातचीत के जरिए सुलझा लिया जाएगा। हमारा नेपाल के साथ बहुत गहरा संबंध है। दोनों देशों के बीच का रिश्ता सामान्य नहीं है। हम ‘रोटी-बेटी’ के रिश्ते में बंधे हैं और दुनिया की कोई भी ताकत इसे तोड़ नहीं सकती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत काफी आगे बढ़ा है। अर्थव्यवस्था में 9वें स्थान पर रहने वाला भारत आज पांचवें स्थान पर है। केंद्र सरकार का लक्ष्य भारत की अर्थव्यवस्था को टॉप-3 में लाना है। सीएम त्रिवेंद्र रावत ने केंद्र की मोदी सरकार की उपलब्धियों को सबके सामने रखा। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए पीएम मोदी ने सही समय पर कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। लॉकडाउन से संक्रमण की दर को नियंत्रित किया गया। पूरे देश में लॉकडाउन आसान फैसला नहीं था। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने तीन साल से अधिक का कार्यकाल पूर्ण कर लिया है। अपने घोषणा पत्र में जनता से जो वायदे किए गए थे, उनमें से 85 फीसद वायदे पूरे कर लिए गए हैं।
भाजपा के गढ़वाल संभाग की वर्चुअल रैली को सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि पहले तीर्थयात्री नाथुला दर्रा से होते हुए मानसरोवर जाते थे। ये रास्ता काफी लंबा था, लेकिन अब बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने लिपुलेख तक एक लिंक रोड बनाई है। यह सड़क 80 किमी लंबी है, जिसे भारतीय क्षेत्र में बनाया गया है। इस सड़क को लेकर नेपाल में कुछ गलतफहमी पैदा हो गई थी। रक्षामंत्री ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि और वीर भूमि है। ये परिश्रम और पराक्रम की धरती है। जब उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ था, तो वे संयुक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उत्तराखंड के हर क्षेत्र में उन्हें जाने का अवसर मिला। राजनाथ सिंह ने कहा उत्तराखंड सरकार के कार्यों की तारीफ की। उन्होंने कहा, भराड़ीसैंण में जो कोविड केयर सेंटर स्थापित हुआ है, उसकी सराहना केंद्र से वहां गई टीम ने भी की है। उत्तराखंड तेजी से विकास के मार्ग पर बढ़ रहा है।
गौरतलब है कि भारत ने लिपुलेख से धारचूला तक सड़क बनाई है। रक्षा मंत्री ने 8 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसका उद्घाटन किया था। इसके बाद ही नेपाल की सरकार ने विरोध जताते हुए 18 मई को नया नक्शा जारी किया था। भारत ने इस पर आपत्ति जताई थी। भारत ने कहा था- यह ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है। हाल ही में भारत के सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने चीन का नाम लिए बिना कहा था कि नेपाल ने ऐसा किसी और के कहने पर किया।
नेपाल और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच 1816 में ब्रिटिश-नेपाल युद्ध के बाद सुगौली समझौते पर दस्तखत हुए थे। समझौते में काली नदी को भारत और नेपाल की पश्चिमी सीमा के तौर पर दिखाया गया है। इसी आधार पर नेपाल लिपुलेख और अन्य तीन क्षेत्र अपने अधिकार क्षेत्र में होने का दावा करता है। हालांकि, दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर तस्वीर साफ नहीं है। दोनों देशों के पास अपने-अपने नक्शे हैं।