एक स्टिंग ऑपरेशन में पता चला है कि वैश्विक गिरोह में शामिल भारत के डेटा माफिया चंद पैसों में देश के लोगों की व्यक्तिगत जानकारियां सेल कर रहे हैं। हमारे देश में डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के मुताबिक, कोई संस्था किसी भारतीय यूजर का मोबाइल डेटा इकट्ठा तो कर सकती है, लेकिन बिना अनुमति को वह उस बेच नहीं सकती है। इस समय पूरी दुनिया में प्राइवेसी और डेटा सिक्युरिटी बड़ा मुद्दा बना हुआ है। गूगल-फेसबुक जैसी ग्लोबल कंपनियों को इस मुद्दे पर अमेरिकी संसद में जवाब देना पड़ रहा है, लेकिन भारत में इस बेशकीमती डेटा की कीमत चंद पैसों में हो रही है। यह जानकर किसी भी मोबाइल यूजर को हैरानी हो सकती है कि सिर्फ 6 पैसे देकर किसी का भी मोबाइल नंबर, ईमेल और यहां तक कि घर का पता तक हासिल किया जा सकता है। ये जानकारी मिलने के बाद एक मीडिया हाउस ने 15 दिनों तक एक स्टिंग ऑपरेशन किया कि किस तरह भारतीयों का सीक्रेट डेटा सस्ती कीमत पर बेचा जा रहा है।
इस स्टिंग में पता चला है कि इस अवैध काम में उत्तराखंड समेत पूरे देश के सबसे ज्यादा बैंकों के फिजिकल वेरिफिकेशन वाले एजेंट शामिल हैं। वे नगर निगमों, नगर पालिकाओं, ट्रांसपोर्ट ऑफिस, बिल्डर्स, मोबाइल विक्रेता और सिम देने से पहले वेरिफिकेशन करने वाले भी इस काम में लगे हुए हैं। पड़ताल के लिए जब देश के कुछ शहरों से 550 पेज का डेटा खरीदा गया तो यह राज खुल गया कि हमारे देश में तो क्रेडिट कार्ड तक की जानकारी ली जा रही है। बस इसकी मुंह मांगी कीमत चुकानी होती है।
पता चला है कि इस समय J-stashbazar.com और Bigfat.cc,Cc-shop.su Cardsdumps.com वेबसाइट के पास देशभर के क्रेडिट कार्ड होल्डर की डिटेल है। ये वेबसाइट्स 70 डॉलर यानी 5000 रुपए लेकर वीजा, मास्टर कार्ड या मेस्ट्रो कार्ड के 4 ग्राहकों की डिटेल दे देती हैं। बैंकिंग डिटेल्स के अलावा आधार और पैन कार्ड का डेटा भी बाजार में उपलब्ध है। ऑनलाइन ठगी करने के लिए हैकर इनका ही उपयोग कर रहे हैं। डेटा माफिया ई-मेल, वेब, फोन कॉल या फिर व्हाट्सऐप के जरिए डील कर रहे हैं। वे सौ-डेढ़ सौ लोगों का डेटा सैंपल में दे देते हैं। नाम, मोबाइल नंबर, पता, पहचान पत्र केवल 5 पैसे में मिल जाते हैं। एक क्रेडिट कार्ड के डेटा का रेट ढाई हजार रुपए है।
बताया गया है कि इस समय देश के ये डेटा माफिया पैन, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस और आधार कार्ड सब खरीद-बेच रहे हैं। यह धंधा एक वैश्विक चेन का हिस्सा बन चुका है। स्टिंग में पता चला कि डेटा माफिया के पास विदेशी आयात डेटा, अंतरराष्ट्रीय कारोबार की बारीक जानकारियां तक उपलब्ध हैं।