भारत और चीन के बीच लद्दाख के गलवान में चल रहे टकराव ने एक बार फिर भारत में चीनी कंपनियों के बिजनेस और दबदबे को लेकर चर्चा तेज हो गई है। चीन के लिए भारत एक बहुत बड़े बाजार के रूप में उभरा है। दोनों देशों में विशाल आबादी के कारण एक बहुत बड़ा कंज्यूमर बेस है। दरअसल, चीन की कंपनियों के सस्ते उत्पाद भारत में अपनी जड़ें इस कदर जमा चुके हैं कि उनको उखाड़ पाना बेहद मुश्किल है। यही नहीं, चीनी कंपनियां भारत में निवेश भी कर रही हैं।
हालांकि, भारत सरकार अपने बाजार को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करने की सोच रही है। चीनी कंपनियों को भारत सरकार से या प्राइवेट सेक्टर से फिलहाल कोई कॉन्ट्रैक्ट जल्द मिलने की संभावना नहीं है। सबसे अहम बात यह है कि हुवावे कंपनी के भारत के 5जी मार्केट में उतरने की संभावनाएं काफी कम हो गई हैं।
चीनी कंपनियों के बंद करने और बहिष्कार करने के सवाल पर सीएनआई रिसर्च के सीएमडी, किशोर ओस्तवाल का कहना है कि भारत किसी भी देश का इंपोर्ट या अन्य बिजनेस को बंद नहीं कर सकता। इसका कारण विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) है। डब्ल्यूटीओ के नियमों के मुताबिक, किसी देश की सरकार आयात या बिजनेस को बंद नहीं कर सकती। अगर ऐसा होता है तो फिर चीन भारत के व्यापार को रोकेगा। ऐसे में ग्लोबलाइजेशन ही खत्म हो जाएगा। हमारे प्रधानमंत्री ने जो कहा, वह लोग समझ नही नहीं पाए। उन्होंने कहा था कि देश आत्मनिर्भर बने। उन्होंने बहिष्कार की बात नहीं की।
प्रधानमंत्री का कहना है कि आत्मनिर्भर का मतलब यह है कि आप अपने से किसी चीज का बहिष्कार कर सकते हैं। ग्राहक और कंपनी यह दोनों चाहें तो कर सकते हैं लेकिन सरकार नहीं कर सकती। इसलिए यह कंपनियों और जनता को सोचना होगा कि वह किस तरह से चीन के सामानों की खरीदी बंद करे। जैसे बीएसएनल और रेलवे ने कदम उठाया है। उस तरह से अन्य कंपनियां चाहें तो यह कदम उठा सकती हैं। डब्ल्यूटीओ के चीन और भारत दोनों सदस्य हैं। इसके अलावा भारत के पास अभी खुद के प्रोडक्ट डेवलप करने की टेक्नोलॉजी भी कम है और आयात पर निर्भरता काफी ज्यादा है।
बाजार के जानकार कहते हैं कि कहना है कि चीन से भारतीय आयात कई तरह का है। पिछले कई सालों से ऐसे अभियान रह-रह के सुनाई पड़ते रहते हैं। इसका असर नहीं होता क्योंकि हमें जो प्रोडक्ट बाजार में 10 रुपए में मिल रहा है, वही चीन 5-6 रुपए में देता है। यह जनता के ऊपर है, चाहे तो सभी प्रोडक्ट का उपयोग बंद कर दे। आधिकारिक तौर पर इस तरह की कोई पाबंदी नहीं लगाई जा सकती। यह डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन होगा। बहिष्कार या बॉयकॉट का पूरा मामला इंडस्ट्री और जनता पर है। आप ज्यादा ड्यूटी भी नहीं लगा सकते। इस पर भी डब्ल्यूटीओ के नियम हैं। साथ ही, आप अगर चीन से आयात बंद भी कर दें तो बाकी देशों से आयात कैसे करेंगे? चीन का लॉजिस्टिक कई देशों तक है और वहां से भी चीन की सामान भारत आता है। कई देशों से जो माल आता है उसमें भी चीन का हिस्सा होता है।
ऐसे में चीन से व्यापारिक प्रतिबंध तोड़ने और उनके सामानों को अपने देश में आयात करने को लेकर उपजा विरोध सही है, परंतु हमें इससे पहले व्यावहारिक अड़चन को दूर करना होगा। सरकार तो विश्व व्यापार संगठन से हुए समझौते के कारण ऐसा कोई कदम नहीं उठा सकती। उसे कई स्पेशल इकोनामिक जोन तैयार करने होंगे ताकि हम पहले आत्मनिर्भर बनें। ऐसे जोन में सस्ती जमीन उपलब्ध कराकर सरकार उद्यमियों को जीएसटी में डिस्काउंट दे, टैक्स हॉलिडे प्रदान करे लेबर कानून को सरल करे तो ऐसे में हम अपने आप आत्मनिर्भर हो जाएंगे और चीन के ऊपर हमारी निर्भरता एकदम समाप्त हो जाएगी। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अभी भी कोरोना महामारी से निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण उपकरण जैसे कि इंफ़्रा रेड थर्मामीटर, पल्स ऑक्सीमीटर आदि चीन से ही मंगाए जा रहे हैं।