उत्तर प्रदेश में नागरिकता कानून (सीएए) लागू होने के बाद से हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की कार्रवाई को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब कर ली है। सीएए लागू होने के बाद यूपी के कई शहरों में उग्र प्रदर्शन देखने को मिले थे और पुलिस की ओर से कड़ी कार्रवाई के कई वीडियो भी सामने आए थे। कई शहरों में प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की न्यायिक जांच की मांग को लेकर कई याचिकाएं दायर की गई थीं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की और राज्य सरकार ने हलफनामा के साथ जवाब दाखिल किया. लेकिन अदालत राज्य सरकार के हलफनामे से संतुष्ट नहीं हई। अब हाईकोर्ट ने कई बिन्दुओं पर राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब कर ली है। कोर्ट ने पूछा है कि प्रदर्शनकारियों की ओर से अब तक कितनी शिकायतें की गई हैं और उनमें से कितनी शिकायतों पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। अदालत ने हिंसा में मारे गए 23 प्रदर्शनकारियों की मौत के मामले में दर्ज एफआईआर और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी तलब की है। इसके अलावा अदालत ने घायलों की मेडिकल रिपोर्ट और हिंसा में घायल पुलिस वालों का ब्योरा भी तलब किया है। अदालत ने मृतकों के परिजनों को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देने का भी निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई अब 17 फरवरी को होगी। मुंबई के वकील अजय कुमार की पीआईएल, पूर्व सीआईसी वजाहत हबीब उल्ला, सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश समेत 14 अर्जियों पर चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई है।
उधर, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ हुए प्रदर्शनों का दौरान पुलिस द्वारा कथित तौर पर की गई बर्बरता के खिलाफ सोमवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का रुख किया और उचित करवाई की मांग की है। सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी और प्रियंका ने आयोग के वरिष्ठ पदाधिकारियों से मुलाकात की और उनके समक्ष उत्तर प्रदेश में ‘पुलिस बर्बरता’ के बारे में शिकायत की और विस्तृत जांच एवं कार्रवाई की मांग की। राहुल और प्रियंका के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी, मोहसिना किदवई, सलमान खुर्शीद, जितिन प्रसाद, राजीव शुक्ला और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू भी रहे।