दिल्ली विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त हार के बाद भाजपा की भविष्य की रणनीति क्षेत्रीय पार्टियों को साधने की है। उसे ये डर सता रहा है कि आम आदमी पार्टी के साथ क्षेत्रीय दल एकजुट हो सकते हैं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात को इसी दिशा में पहली कोशिश मानी जा रही है। पता चला है कि भाजपा अब वाईएसआर कांग्रेस और तमिलनाडु की डीएमके को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने का लालच दे रही है।
बताते हैं कि भाजपा को राज्यसभा में बिल पास कराने में क्षेत्रीय दलों के समर्थन की जरूरत है। वाईएसआर कांग्रेस को राज्य से विधान परिषद खत्म करने के लिए केंद्र के सहयोग की जरूरत होगी, जिसमें उसकी विरोधी तेलगु देशम पार्टी का बहुमत है। जगन सरकार ने हाल ही में आंध्र प्रदेश की तीन राजधानी बनाने के लिए बिल पेश किया था, जिसे विधान परिषद ने खारिज कर दिया। इससे नाराज जगन ने राज्य से विधान परिषद को ही खत्म करने का केंद्र के पास प्रस्ताव भेजा है। अब कहा जा रहा है कि वाईएसआर कांग्रेस की राज्यसभा में ताकत बढ़ने वाली है और भाजपा को उसके सहयोग की जरूरत है। वाईएसआर कांग्रेस के पास राज्यसभा में फिलहाल 2 सांसद है, जिसे अप्रैल में बढ़कर 6 और 2022 तक बढ़कर 10 होने की संभावना है। लोकसभा में वाईएसआर कांग्रेस 22 सांसदों के साथ चौथी सबसे बड़ी पार्टी है।
एक भाजपा नेता के मुताबिक, दिल्ली में करारी शिकस्त ने भाजपा को क्षेत्रीय पार्टियों की ओर देखने पर मजबूर किया है। वह चाहे सत्ता में हों या विपक्ष में। अब भाजपा का मुख्य लक्ष्य क्षेत्रीय पार्टियों के भविष्य में एकजुट नहीं होने देना है। क्षेत्रीय पार्टियां पहले भी कई बार अपना गठबंधन बनाने की कोशिश कर चुकी हैं।