एक ताज़ा सूचना के मुताबिक, उत्तराखंड के जोशीमठ में सेना की मूवमेंट को बढ़ा दिया गया है। आईटीबीपी की और टुकड़ियों को सीमा पर भेजा जा रहा है। राजधानी दिल्ली में इस समय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सीडीएस बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के अध्यक्षों के साथ बैठक कर रहे हैं। उन्होंने एलएसी पर मौजूदा हालात को लेकर विदेश मंत्री से भी बात की है। सरकार ने सेना को ग्राउंड सिचुएशन के तहत कोई भी निर्णय लेने की छूट दे दी है। साथ ही यह भी साफ किया है भारत अपनी संप्रभुता से किसी तरह का कोई समझौता नहीं करेगा। भारत का कहना है कि चीन एलएसी पर अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता है लेकिन ताकत का इस्तेमाल करके इसे बदलने की कोशिश नहीं कर सकता है।
हिंसक झड़प के बाद देश भर में चीन को लेकर गुस्सा है। वाराणसी में एनजीओ विशाल भारत संस्थान के बैनर तले लोगों ने चीनी झंडा और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग का पुतला जलाया। अहमदाबाद के बापू नगर इलाके में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की तस्वीरें जलाई गईं। कल मंगलवार, शाम तक जिस घर में अपने सपूत के शहादत की खबर के बाद कोहराम मच गया था, आज बुधवार, सुबह उसी घर में फिर से खुशियां लौट आई हैं। छपरा का लाल सुनील राय सीमा पर शहीद नहीं हुआ बल्कि सही सलामत है। सेना के अधिकारियों ने परिवार से बात करते हुए बताया है कि गलतफहमी के कारण ठीक जानकारी नहीं मिली। लद्दाख में सुनील पूरी तरह ठीक है। उधर, गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में चीनी पक्ष के जिन सिपाहियों की मौत हुई है, उनमें चीनी यूनिट का कमांडिंग अफसर भी शामिल है।
उत्तराखंड में पिथौरागढ़ से लगी चीन सीमा पर भी अलर्ट जारी होने के बाद जवानों ने गश्त तेज कर दी है। नाभीढांग से लिपुपास तक आठ किमी के दायरे में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। यहां आईटीबीपी के साथ इंडियन आर्मी भी गश्त कर रही है। नाइट विजन कैमरों से भी सीमा पर नजर रखी जा रही है। गौरतलब है कि पिथौरागढ़ जिले में स्थित भारत-चीन सीमा पर कुछ समय पूर्व चीनी सुरक्षा बलों ने लिपुपास को विवादित स्थल बताकर आपत्तिजनक बैनर लहराए थे। उसके बाद भारतीय सुरक्षा बलों ने नाभीढांग से लिपुपास के आठ किमी के दायरे में सुरक्षा बढ़ा दी थी। उसके बाद इंडियन आर्मी अलर्ट हो गई थी। चीन सीमा की सुरक्षा के लिए भारतीय सेना ने भी नाभीढांग से लिपुपास तक आईटीबीपी के साथ संयुक्त कांबिंग की जा रही है। रात में नाइट विजन उपकरणों के साथ सुरक्षा बल इस पूरे क्षेत्र पर नजर रख रहे हैं।
यह भी उल्लेखनीय है कि संकट की इस घड़ी में पिथौरागढ़ सीमा को जोड़ने वाले मार्ग पर पुल बहने के कगार पर है। ग्लेशियर पिघलने के बाद गोरी नदी का जलस्तर बढ़ने से मुनस्यारी-मिलम मार्ग पर लास्पागाड़ी के पास कच्चे पुल पर खतरा मंडरा रहा है। इस पुल के बहते ही जोहार घाटी में चीन सीमा तक सम्पर्क टूट जाएगा। मुनस्यारी-मिलम मार्ग जोहार घाटी में चीन सीमा को जोड़ने वाला एकमात्र पैदल मार्ग है। इस सीमा पर बीआरओ मुनस्यारी से मिलम तक सड़क निर्माण कर रहा है। अभी 26 किमी मार्ग का निर्माण होना है। सड़क बनने पर ही नदी, नालों पर पक्के पुल बनेंगे। अभी तक यहां पर गोरी नदी सहित उसकी समस्त सहायक नदियों पर कच्चे लकड़ी के पुल हैं। इन पुलों से ही मल्ला जोहार के 13 गांवों के ग्रामीणों के अलावा आइटीबीपी के जवान, भेड़ , बकरियां पालने वाले लोग आवाजाही करते हैं।
घाटी में पैदल मार्ग और पुल ही लाइफ लाइन हैं। इधर, गर्मी बढ़ते ही ग्लेशियरों के पिघलने से गोरी नदी का जलस्तर बढ़ चुका है। लास्पा गाड़ी का पुल खतरे में आ चुका है। क्षेत्र के लोगों का मानना है कि पुल किसी भी समय बह सकता है, पुल के दोनों तरफ के हिस्से बह चुके हैं। पुल बहा तो उच्च हिमालयी मिलम, ल्वा, पांछू , गनघर, रिलकोट, मर्तोली, बिल्जू , खैंलाच, टोला, बुगडियार, बुर्फू आदि गांवों का सम्पर्क टूट जाएगा। इसी मार्ग से बीआरओ के मजदूर, आइटीबीपी, सेना और गांवों में डाक बांटने डाकिया जाते हैं। जौहार घाटी के नौ गांव के ग्रामीण भी इसी लकड़ी के कच्चे पुल के ज़रिए अपने गांवों तक पहुंचते हैं। ये सभी गर्मियों के सीजन में ही चीन सीमा से सटे गांवों में जाते हैं, जबकि सर्दियों के सीजन में ये निचले इलाकों में आ जाते हैं, लेकिन बॉर्डर की सुरक्षा पर तैनात सेना और आईटीबीपी के जवान यहां साल भर तैनात रहते हैं। इस बीच बताया गया है कि पुल निर्माण के लिए ठेका हो चुका है। ठेकेदार मौके पर लकड़ी एकत्रित कर रहा है। स्थानीय लोग भी उस पर नजर रख रहे हैं।
(Photo symbolic, sincerely on social media)