हमारे 135 करोड़ की आबादी वाले देश में जब कोरोना टेस्टिंग की रफ्तार पर उंगलियां उठती हैं तो बताया जाता है कि 15 अप्रैल 2020 को रात 9 बजे तक देश 2 लाख 58 हजार 730 लोगों का टेस्ट कर चुका है। सच का दूसरा पहलू ये है कि देश में प्रति 10 लाख लोगों में सिर्फ 203 लोगों के टेस्ट किए गए हैं और प्रति 10 लाख लोगों में से 8 लोग कोरोना पॉजिटिव निकले हैं। भारत के एक शीर्ष मीडिया हाउस की डाटा इंटेलीजेंस यूनिट ने तो राज्यों के आंकड़ों के आधार पर ये भी पता लगा लिया है कि कौन-सा राज्य टेस्ट करने के मामले में बेहतर है। बार-बार एक सवाल चौंकाता आ रहा है कि देश की कुल आबादी के हिसाब से टेस्टिंग की रफ्तार कितनी होनी चाहिए और कितनी चल रही है।
गौरतलब है कि अब तक भारत में कोरोना संक्रमण 14 हजार 477 तक पहुंच चुका है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में 14 हजार 378 कोरोना पॉजिटिव में से 11 हजार 906 का इलाज चल रहा है, 1 हजार 991 ठीक हो चुके हैं, जबकि 480 की मौत हो गई। देश में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले राज्यों में महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु, राजस्थान, और मध्य प्रदेश हैं। कोरोनावायरस अब तक देश के 27 राज्यों में पैर पसार चुका है। वहीं, देश के 7 केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) में भी यह संक्रमण पहुंच चुका है। इनमें दिल्ली, चंडीगढ़, अंडमान-निकोबार, दादरा एवं नगर हवेली, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और पुडुचेरी शामिल हैं।
भारत के राज्यों में टेस्ट करने के मामले में राजस्थान नंबर एक पर है, जहां प्रति 10 लाख लोगों पर राजस्थान ने 476 टेस्ट, केरल ने प्रति 10 लाख पर 465, महाराष्ट्र ने 417, गुजरात ने 312, तमिलनाडु ने 285, कर्नाटक ने 231, आंध्र प्रदेश ने 218, मध्य प्रदेश ने 168, ओडिशा ने 147, उत्तर प्रदेश ने 84, बिहार ने 72 और पश्चिम बंगाल ने 35 टेस्ट किए गए हैं। बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल में प्रति दस लाख टेस्ट की संख्या 100 से भी नीचे है, जबकि इनमें दो राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार देश के सबसे बड़े स्टेट में शुमार हैं। इससे पता चलता है कि अलग-अलग राज्यों में टेस्टिंग की हकीकत क्या है। 15 अप्रैल तक में प्रति दस लाख मात्र 203 टेस्ट का औसत है। इनमें भी ज्यादातर पॉजिटिव केस कम्युनिटी सर्विलांस नेटवर्क से सामने आ रहे हैं।
तीन दिन पहले तक देश में लगभग 11000 कन्फर्म मामले सामने आ चुके थे। इसके लिए प्रयोगशालाओं में 2.5 लाख लोगों के टेस्ट किए गए और स्वास्थ्य मंत्रालय के स्रोतों से पता चला कि इनमें से ज्यादातर को सर्विलांस नेटवर्क के जरिए शिथिल किया गया है। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, दो दिन पहले तक देश में करीब 27,000 कोविड -19 टेस्ट किए गए, साथ ही 22 नई लैब जुड़ गईं, जिससे तेजी से टेस्ट किए जा सकें लेकिन कई कारणों से देरी का सामना करना पड़ रहा है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार, बुधवार को संसाधित किए गए 26,351 नमूने महीने की शुरुआत में लगभग 5,000 प्रति दिन की संख्या में पांच गुना बढ़े हैं। निजी लैब सहित कुल प्रयोगशालाओं की संख्या अब 258 है। सचिव, मेडिकल इमरजेंसी की तैयारियों पर पीएम की उच्च-स्तरीय समिति के सह-अध्यक्ष और पर्यावरण मंत्रालय के सचिव सीके मिश्रा ने बताया कि हमने और लैब तैयार की हैं, और चूंकि सैंपल कलैक्शन और डेटा एंट्री में बाधाएं आ रही थीं, इसलिए हमने सैंपल कलैक्शन की प्रणाली को मजबूत किया है और लोगों के टेस्ट के लिए ट्रेनिंग दी।