दिल्ली विधानसभा चुनाव में आठ फरवरी सुबह से मतदान शुरू हो जाएगा। नतीजे उसके तीन दिन बाद 11 फरवरी को आने हैं लेकिन सबसे बड़ा कौतुहल है कि इस समय दिल्ली के दिल्ली में क्या चल रहा है। तीनो प्रमुख पार्टियों की धड़कनें पल-पल तेज होती जा रही हैं। चुनाव मैदान में हर कोई खुद को तीस मार खां बताता है लेकिन ईवीएम के आंख खोलने के बाद ही पता चलता है कि किसके दावे में कितना दम था। अब तक की तीन बड़े सर्वे खुलासा कर चुके हैं कि आम आदमी पार्टी दोबारा सत्ता में आ रही है लेकिन कैसे, सवाल गंभीर है। भाजपा भी खुद को कुछ कम नहीं बता रही है।
नॉर्थ वेस्ट दिल्ली में रोहिणी सीट पर कांग्रेस ने सुमेश गुप्ता और आप ने राजेशनामा बंशीवाला को अपना उम्मीदवार बनाया। बीजेपी से मौजूदा विधायक विजेंद्र गुप्ता दूसरी बार चुनावी मैदान में हैं। विपक्षी दल दम लगाकर उन्हें घेर रहे हैं। नाहरपुर, राजापुर, राजा विहार इस विधानसभा में है। तीनों ही पार्टियों के उम्मीदवार अपनी पूरी ताकत लगाकर चुनाव जीतने की कोशिश में हैं। नरेला सीट पर आप से प्रत्याशी शरद चौहान, कांग्रेस से सिद्धार्थ कुंडू और बीजेपी से नीलदमन खत्री मैदान में हैं। आम आदमी पार्टी ने शरद को दूसरी बार मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में शरद चौहान ने करीब 41 हजार वोट से नीलदमन को हराया था। इस बार आप और बीजेपी में सीधा मुकाबला माना जा रहा है। हालांकि कांग्रेस के उम्मीदवार भी पूरा जोर लगा रहे हैं। मुंडका सीट पर आप से धर्मपाल लाकड़ा, कांग्रेस से नरेश कुमार और बीजेपी से मास्टर आजाद मैदान में हैं। यहां जातिगत समीकरण की भूमिका भी अहम नजर आ रही है। इस सीट से साल 2015 में आप से जीते सुखवीर सिंह दलाल का टिकट काटकर धर्मपाल लाकड़ा को उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी ने फिर से मास्टर आजाद को प्रत्याशी बनाया है। सुल्तानपुर माजरा सीट पर आप ने मुकेश कुमार अहलावत, बीजेपी ने रामचंद्र चावड़िया, कांग्रेस ने जयकिशन को प्रत्याशी बनाया है। साल 2015 में आप से प्रत्याशी संदीप ने कांग्रेस के जयकिशन को हराया था। इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया गया है। हालांकि इस सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है। हैट्रिक लगा चुके जयकिशन एक बार फिर मैदान में हैं। रिठाला सीट पर आप से मोहिंदर गोयल, बीजेपी से मनीष चौधरी, कांग्रेस से प्रदीप कुमार पांडेय मैदान में हैं। पिछले चुनाव में मोहिंदर जीते थे। पार्टी ने फिर से मोहिंदर पर भरोसा जताया है। हालांकि बीजेपी-कांग्रेस ने इस बार प्रत्याशी बदल दिए हैं। आप और बीजेपी में कांटे की टक्कर मानी जा रही है। कांग्रेस भी मुकाबला कर रही है।
नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली में बादली सीट से कांग्रेस उम्मीदवार देवेंद्र यादव मैदान में हैं। वहीं, दूसरी तरफ 5 साल तक क्षेत्रीय विधायक के रूप में काम कर चुके अजेश यादव आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हैं। बीजेपी प्रत्याशी के रूप में पूर्व डिप्टी मेयर रहे विजय भगत चुनावी मैदान में हैं। वह कहीं ना कहीं पूर्वांचल और यादव वोटर्स को प्रभावित करते हैं। अजेश यादव अपने 5 साल में कामों के आधार पर वोट मांग रहे हैं। देवेंद्र यादव पूर्व में रहे विधायक के तौर पर उन्होंने जो काम किए हैं, वह लोगों को गिना रहे हैं। वहीं, विजय भगत पूर्वांचली चेहरे के रूप में यहां जाने जाते हैं। ऐसे में यहां मुकाबला काफी दिलचस्प रहने वाला है। किराड़ी सीट पर भी पूर्वांचली वोटर्स बड़ा रोल निभाएंगे। यहां तीनों पार्टियों ने अपने उम्मीदवार को पूर्वांचली चेहरा साबित करने की कोशिश की है। ऋतुराज झा आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक भी हैं और इस बार भी मैदान में है। बीजेपी ने भी किराड़ी से पूर्व विधायक अनिल झा को मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस के गठबंधन के सहयोगी आरजेडी ने यहां से रियाजुद्दीन खान को प्रत्याशी बनाया है। बवाना आरक्षित सीट में ग्रामीण वोटरों का दबदबा अधिक है। बीजेपी ने अपने युवा चेहरे रविंद्र कुमार को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने यहां पूर्व विधायक सुरेंद्र को उतारा है। वहीं, बीएसपी छोड़ आम आदमी पार्टी में आए निगम पार्षद जय भगवान उपकार को आप का टिकट मिला है। आम आदमी पार्टी जॉइन करने वाले गूगल सिंह एक बार फिर बीजेपी में आ चुके हैं। मंगोलपुरी सीट भी आरक्षित है। यहां दो गांव और सबसे अधिक क्लस्टर कॉलोनियों का इलाका है। इस सीट पर दिल्ली सरकार में पूर्व डिप्टी स्पीकर रह चुकी राखी बिरला आम आदमी पार्टी का नेतृत्व कर रही हैं। वहीं, लोकसभा का चुनाव लड़ चुके राजेश लिलोठिया कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। 2013 के बाद से इस सीट पर आम आदमी का कब्जा है। बीजेपी ने यहां से करम सिंह कर्मा को टिकट दिया है। लिलोठिया पटेल नगर से पूर्व विधायक रह चुके हैं। तो वहीं, राखी बिरला के पास 5 साल का एक्सपीरियंस है। वहीं, करम सिंह कर्मा को यहां समाजसेवी के तौर पर भी देखा जाता है। नांगलोई जाट सीट पर आप से रघुविंद्र शौकीन, बीजेपी से सुमन लता और कांग्रेस से मनदीप सिंह इस सीट से आमने-सामने हैं। पिछले चुनाव में आप के रघुविंद्र शौकीन ने बीजेपी के मनोज कुमार शौकिन को हराया था। पांच साल में किए कामों को आधार मानकर रघुविंदर लोगों से वोट मांग रहे हैं। कांग्रेस जनता को पुराने दिनों की याद दिलाकर समर्थन मांग रही है। बीजेपी केंद्र और राज्य में एक सरकार बनाने को लेकर वोटर्स से अपील कर रहे हैं।
ईस्ट दिल्ली में पटपड़गंज सीट से दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं। इलाके में बड़ी संख्या में पहाड़ी मतदाताओं को देखते हुए बीजेपी ने रवि नेगी को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने भी इसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए दो बार कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे लक्ष्मण रावत पर दांव लगाया है। नेगी और रावत दोनों का यह पहला चुनाव है। हालांकि, यहां गांव और शहरी आबादी के चलते अलग-अलग वर्गों के वोट साधकर ही जीत का रास्ता निकलता है। ओखला सीट पर शाहीन बाग के आसपास पूरा चुनाव प्रचार सिमटा रहा। सीएए विरोधी प्रदर्शनों के चलते मतदाताओं के रुख को लेकर हर पार्टी असमंजस में है। आप ने इस बार भी अपने मौजूदा विधायक अमानतुल्लाह खान को उतारा है। वहीं, कांग्रेस की तरफ से पूर्व विधायक और राज्यसभा सांसद रहे परवेज हाशमी हैं। दूसरी तरफ बीजेपी से ब्रह्म सिंह अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। मुस्लिम बहुल इस सीट पर मुकाबला काफी कड़ा माना जा रहा है। जंगपुरा सीट पर छह बार जीत का परचम लहरा चुकी कांग्रेस यहां से फिर वापसी की कोशिश में जुटी है। उसने इस सीट से तरविंदर सिंह मारवाह को टिकट दिया है, तीन बार यहां से विधायक रह चुके हैं। मारवाह के मुकाबले में आप के प्रवीण कुमार हैं, जो यहां से पिछली बार चुनाव जीत चुके हैं। बीजेपी ने इमप्रीत सिंह बख्शी की शक्ल में सिख युवा नेता पर दांव लगाया है, जो लुभावने वादों का पिटारा लेकर जनता के बीच खड़े हैं। दिल्ली की 12 सुरक्षित सीटों में से एक त्रिलोकपुरी में भी कड़ा मुकाबला होने जा रहा है। 2015 में आप के राजू धींगान ने यहां से बाजी मारी थी, लेकिन इस बार पार्टी ने रोहित महरोलिया को उम्मीदवार बनाया है। वह पार्षद होने के साथ ईस्ट एमसीडी में नेता विपक्ष भी हैं। बीजेपी ने किरण वैद्य के रूप में महिला नेता पर दांव खेला है। कांग्रेस ने विजय कुमार पर बाजी लगाई है। वह इस सीट से चार बार जीत हासिल कर चुकी है, जबकि बीजेपी को सिर्फ एक बार यह मौका मिला। 2013 के बाद से यहां पर आप का अपना कब्जा है। 1975-76 में विस्थापित लोगों को त्रिलोकपुरी में बसाया गया था। कोंडली सीट पर आप ने मौजूदा विधायक मनोज कुमार के बदले कुलदीप कुमार को टिकट दिया है। बीजेपी ने राज कुमार ढिल्लो और कांग्रेस ने अमरीश गौतम को उतारा है। ईस्ट एमसीडी में नेता विपक्ष रहे कुलदीप पिछले काफी समय से इलाके में सक्रिय थे। अमरीश अनुभवी जरूर हैं, लेकिन नॉमिनेशन से ठीक पहले बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आए हैं। बीजेपी के ढिल्लो भी ईस्ट एमसीडी में डिप्टी मेयर रहे हैं।
वेस्ट दिल्ली में द्वारका सीट पर आप ने अपना उम्मीदवार बदल दिया। यहां से विनय मिश्रा आप के कैंडिडेट हैं। आप के टिकट से पिछला चुनाव लड़ चुके आदर्श शास्त्री कांग्रेस से मैदान में हैं। विधायक होने की वजह से आदर्श को बढ़त मिलने के कयास लगाए जा रहे हैं। पीएम मोदी की रैली के बाद बीजेपी के प्रति लोगों की सोच में सकारात्मक बदलाव आया है। बीजेपी ने प्रद्युम्न राजपूत को टिकट दिया है। प्रचार के अंतिम दौर में कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है। कभी बीजेपी की गढ़ रही जनकपुरी सीट पर कड़ा मुकाबला है। पहली बार 2015 में बीजेपी को यहां से हार मिली थी। इस बार पार्टी ने आशीष सूद को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस की राधिका खेड़ा भी कड़ी टक्कर देने की पूरी कोशिश में जुटी हैं। आप ने अपने विधायक राजेश ऋषि पर ही दांव लगाया है। विकासपुरी सीट पर इस बार भी यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है। दो बार के विजेता आप के उम्मीदवार महेंद्र यादव की इलाके में पकड़ उनका मजबूत पक्ष है, लेकिन बीजेपी ने यहां से पूर्वांचल चेहरे संजय सिंह को उम्मीदवार बनाकर बाजी पटलने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस ने अपने अनुभवी नेता मुकेश शर्मा पर दांव खेला है। यहां इस बार भी पूर्वांचल वोटर यहां निर्णायक भूमिका में हो सकते हैं। अकाली दल की परंपरागत सीट हरिनगर पर इस बार बीजेपी ने तेजेंद्र पाल सिंह बग्गा को टिकट दिया है। आप ने अपने पुराने विधायक की जगह नए उम्मीदवार राजकुमारी ढिल्लों को मौका दिया है। सिख बहुल इलाका होने की वजह से यहां पर बीजेपी की दावेदारी मजबूत दिख रही है। गृह मंत्री अमित शाह के साथ अकाली नेता अमरिंदर सिंह सरसा ने बीजेपी के लिए रोड शो में हिस्सा लिया। यहां से आप और बीजेपी में सीधी टक्कर मानी जा रही है। कांग्रेस ने सुरेंद्र सेतिया को उम्मीदवार बनाया है। तिलक नगर सीट से आप के नेता जरनैल सिंह का दावा मजबूत दिख रहा है। सिख और पंजाबी बहुल इस इलाके में बीजेपी ने राजीब बब्बर को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस के टिकट से गुरुद्वारा कमिटी के मेंबर रमिंदर सिंह स्वीटा मैदान में है। यहां भी कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। आप का बीजेपी और कांग्रेस से कौन कड़ी टक्कर मिल रही है। इस सीट पर बीजेपी के कई स्टार प्रचारक उतरे हैं। यहां दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। नजफगढ़ सीट से आप के प्रत्याशी कैलाश गहलौत को बीजेपी के अजीत खरखरी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में इस सीट पर जीत का अंतर काफी कम था। कांग्रेस प्रत्याशी साहिब सिंह के आने से मुकाबला और कड़ा हो गया है। इस सीट पर कभी किसी प्रत्याशी ने दोबारा जीत हासिल नहीं की है। ग्रामीण बाहुल्य इलाका होने की वजह से यहां चुनावी माहौल पूरी तरह बना हुआ है। मटियाला इस सीट से आप प्रत्याशी गुलाब सिंह यादव के सामने बीजेपी के प्रत्याशी राजेश गहलोत खड़े हैं। दोनों में कांटे की टक्कर है। कांग्रेस के सोमेश शौकीन के आने से वोटर इधर-उधर होने की संभावना भी है। दिल्ली की 70 विधानसभा सीट में सबसे ज्यादा वोटर इसी विधानसभा में है, इसलिए यह तीनों पार्टियों के लिए काफी अहम है। यहां से तीनों की प्रत्याशी एक-एक बार जीत हासिल कर चुके हैं। अब तीनों में वापसी की टक्कर है। उत्तम नगर सीट कभी कांग्रेस का गढ़ थी। अब आप के प्रत्याशी नरेश बाल्यान के सामने बीजेपी ने भी अपने तगड़े प्रत्याशी कृष्ण गहलोत को मैदान में उतारा है। इसके अलावा आरजेडी के शक्ति कुमार बिश्नोई भी रेस में बने हुए हैं। इस सीट पर पंजाबी, ओबीसी और जाट वोटर काफी अहम हैं। तीनों ही पार्टियां इन वोटरों के ध्यान में रखकर रणनीति बना रही है। 1977 में बनी राजौरी गार्डन सीट कभी कांग्रेस का गढ़ थी। कांग्रेस लगातार पांच बार जीती थी। इस बार आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी ए धनवंती चंदीला को बीजेपी के रमेश खन्ना कड़ी टक्कर दे रहे हैं। वहीं कांग्रेस के अमनदीप सिंह सूदन भी कांग्रेस को वापसी करवाने के लिए पूरा दमखम लगाए हुए हैं। यहां सिख कम्युनिटी ज्यादा हैं। अभी यहां आप के विधायक जरनैल सिंह हैं, जिन्हें इस बार आप ने तिलक नगर से टिकट दिया है, इसलिए मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है। मादीपुर सीट पर आप प्रत्याशी गिरीश सोनी को बीजेपी के प्रत्याशी ओम प्रकाश सांकला कड़ी टक्कर देते दिखाई दे रहे हैं। 2015 में बीजेपी ने यहां से अपने प्रत्याशी राजकुमार को उतारा था। अब सांकला के आने से स्थितियां काफी बदली हुई नजर आ रही हैं। कांग्रेस की तरफ से यहां जय प्रकाश पंवार मैदान में हैं। कांग्रेस ने यहां से 2008 के बाद जीत हासिल नहीं की है, इसलिए पंवार कांग्रेस की वापसी की तैयारी में हैं।
साउथ दिल्ली में पालम सीट पर आप से भावना गौड़, बीजेपी से विजय पंडित और कांग्रेस निर्मल सिंह मैदान में है। इस सीट पर 1993 में सिर्फ एक बार कांग्रेस जीती थी। साल 2003 से 2013 तक बीजेपी के उम्मीदवार धर्म देव सोलंकी जीते। मगर साल 2015 में बीजेपी के गढ़ में आप की उम्मीदवार भावना गौड़ भारी मतों से जीतीं। इस बार फिर वो मैदान में हैं। आंबेडकर नगर सीट पर आप से अजय दत्त, बीजेपी से खुशी राम और कांग्रेस से युदराज चौधरी खड़े हुए हैं। इस सीट पर तीनों उम्मीदवारों के बीच टक्कर देखने को मिल रही है। बीजेपी ने प्रधानमंत्री के चेहरे पर दिल्ली का चुनाव जीतने की रणनीति बनाई है। मगर आप के उम्मीदवार काम के नाम पर वोट मांग रहे हैं। बिजवासन सीट पर बीजेपी से सतप्रकाश राणा, आप से बीएस जून और कांग्रेस के प्रवीण राणा चुनावी मैदान में हैं। यहां पर बीजेपी ने अपने पूर्व विधायक को मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने पूर्व मेयर और पार्षद को मैदान में है। जबकि आप पार्टी के पिछले विधायक देवेंद्र सहरावत ने पार्टी छोड़ दी थी। जिसकी वजह से इस बार आप ने नया चेहरा उतरा है। ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी के उम्मीदवार इस क्षेत्र के नेताओं रूप में जाने जाते हैं। इसलिए तीनों पार्टियों के बीच में कांटे की टक्कर है। देवली सीट से आम आदमी पार्टी से प्रकाश जारवाल, बीजेपी से अरविंद कुमार और कांग्रेस से अरविंदर सिंह हैं। मगर यहां पर आप और कांग्रेस के बीच टक्कर देखने को मिल रही है। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार काम के नाम पर वोट मांग रहे हैं। छतरपुर सीट पर बीजेपी से ब्रह्म सिंह तंवर, आप से कतार सिंह तंवर और कांग्रेस से सतीश लोहिया को टिकट मिला है। इस सीट पर जाट वोटर की संख्या ज्यादा है, जो किसी के फेवर में भी जाकर चुनाव का रुख मोड़ सकते हैं। कालकाजी से आप ने आतिशी को यहां से उतारा है। इलाके में यह चेहरा नया है मगर केजरीवाल और झाड़ू के नाम पर लोग उन्हें पहचानने लगे हैं। आतिशी का मजबूत पॉइंट है सरकारी स्कूल को बदलने का उनका काम। पंजाबी हैं, कालकाजी में इस कम्यूनिटी की अच्छी तादाद है। उन्हें टक्कर देंगी कांग्रेस से शिवानी चोपड़ा, जो कालकाजी से तीन बार विधायक रह चुके सुभाष चोपड़ा की बेटी हैं। बीजेपी कैंडिडेट धरमबीर सिंह के लिए भी यह इलाका पुराना है, एक पार्षद के तौर पर। बदरपुर सीट पर फिर दो पुराने खिलाड़ी आमने-सामने हैं- आप से राम सिंह नेताजी और बीजेपी से रामवीर सिंह बिधूड़ी। बीएसपी छोड़कर राम सिंह को आप जॉइन किए एक महीना नहीं हुआ है। एमएलए एनडी शर्मा का टिकट काटकर उन्हें चांस मिला है, जो अब बीएसपी से उम्मीदवार हैं। कांग्रेस से प्रमोद कुमार यादव मैदान में हैं। देखना दिलचस्प होगा कि इन दो गुर्जर नेताओं के बीच कम्युनिटी का वोट कैसे बंटता है। वैसे, पानी, सीवर, सड़क पर वोटर्स का फोकस है। महरौली सीट पर नरेश यादव आप का मैदान फिर संभालेंगे। सामना कर रही हैं पूर्व काउंसलर बीजेपी की कुसुम खत्री जो इलाके के बुरे हालात की शिकायतों के साथ लोगों के बीच पहुंची हैं। कांग्रेस ने युवा कैंडिडेट महेंदर चौधरी को खड़ा किया है। झुग्गियां और अनधिकृत कॉलोनियां में आप की पकड़ अच्छी है। कुसुम की बड़ी कॉलोनियों में इमेज ठीक-ठाक है। महरौली जाट बहुल इलाका है, जहां महेंदर को यंग वोटर्स का बोनस मिल सकता है। संगम विहार की बड़ी दिक्कत है पानी, सीवर। आप ने फिर दिनेश मोहनिया को खड़ा किया है। लोग कुछ काम होने की बात को मानते हैं। बीजेपी ने जेडीयू के टिकट पर पूर्व बीजेपी विधायक एससीएल गुप्ता को खड़ा किया है। गुप्ता इलाके की दिक्कतों को लेकर जनता के बीच हैं। वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार कीर्ति आजाद की पत्नी पूनम आजाद आप के लिए चैलेंज हैं। अनऑथराइज्ड कॉलोनियों में पूर्वांचली बड़ी तादाद में हैं और पूनम ने इन्हें खींचने की पूरी कोशिश की है। तुगलकाबाद सीट पर आम आदमी पार्टी से एक बार फिर पहलवान सहीराम मैदान में हैं। उन्हें मुकाबला दे रहे हैं बीजेपी कैंडिडेट विक्रम बिधूड़ी। विक्रम साउथ दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी के भतीजे हैं, इलाके में बतौर गुर्जर कैंडिडेट उनकी पहचान है। हालांकि, मूलभूत मुद्दों पर आप की झाड़ू को यहां लोग पहचानते हैं। सीवर, पानी की सप्लाई खासतौर पर अनधिकृत कॉलोनियों यहां भी बड़ा मुद्दा है। इन नेताओं के सामने कांग्रेस के यंग कैंडिडेट शुभम शर्मा हैं।
क्या है भाजपा का गणित : चुनावी चाणक्य की छवि बना चुके केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता अमित शाह ने चुनाव प्रचार के आखिरी दिन दावा किया कि दिल्ली में बीजेपी 70 में से 45 सीटें जीतकर सरकार बनाएगी। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दिल्ली में चुनावी हवा का रुख बीजेपी की तरफ हो चुका है और कुछ नेताओं के चेहरे उतर चुके हैं। आखिर देश के दो सियासी सूरमा इस तरह के दावे क्यों कर रहे हैं? आखिर जनता के बीच आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की कमोबेश काम करने वाली छवि के बावजूद मोदी-शाह को ऐसा क्यों लग रहा है कि जनता केजरीवाल को दोबरा मौका नहीं देने वाली?
दरअसल, इस दावे के पीछे खुद मोदी-शाह के साथ-साथ पार्टी के कई दिग्गज नेताओं की रैलियों में उमड़ रही भीड़, पार्टी के आंतिरक सर्वे में कथित तौर पर सामने आया जनता का बदला हुआ मिजाज और कुछ ओपिनियन पोल्स के नतीजे हैं। बीजेपी के नेताओं का मानना है कि गृह मंत्री अमित शाह और उसके बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैलियों ने जहां दिल्ली के चुनावी माहौल को बदलने का काम किया, वहीं अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों के बाद माहौल बीजेपी के पक्ष में बनता दिखने लगा है। इस दावे के पीछे पार्टी का एक इंटरनल सर्वे है जो सोमवार को ईस्ट दिल्ली में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के ठीक बाद दिल्ली के सभी विधानसभा क्षेत्रों में करवाया गया था। इस सर्वे के नतीजों के आधार पर कहा जा रहा है कि शाहीन बाग, सर्जिकल स्ट्राइक, बाटला हाउस जैसे मुद्दों पर मोदी ने जिस तरह खुलकर अपनी बात सामने रखी है, उसका लोगों पर काफी असर पड़ता दिख रहा है।
बीजेपी के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मोदी की रैली से पहले जितने भी सर्वे कराए गए थे, उनमें बीजेपी दिल्ली में आम आदमी पार्टी को टक्कर देती तो दिख रही थी, लेकिन नतीजे आम आदमी पार्टी के ही पक्ष में झुकते दिख रहे थे। हालांकि, पहले योगी आदित्यनाथ और फिर प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों के बाद से मुकाबला कांटे का हो गया है और नतीजे अब बीजेपी के पक्ष में झुकते नजर आने लगे हैं। सबसे खास बात यह है कि इस सर्वे में कई सीटों पर कांग्रेस बाजी मारती नजर आ रही है।
सूत्रों ने बताया कि सोमवार को देर शाम कराए गए सर्वे में बीजेपी को जहां 27 सीटें मिलती दिख रही हैं, वहीं आम आदमी पार्टी को 26 और कांग्रेस को 8 से 9 सीटें मिलती दिख रही हैं जबकि बाकी कि सीटों पर बेहद कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है और नतीजे किसी के भी पक्ष में जा सकते हैं। पार्टी नेताओं के मुताबिक, यह सर्वे सोमवार की रैली के बाद है जबकि मोदी ने मंगलवार की शाम को भी वेस्ट दिल्ली के द्वारका इलाके में भी एक और बड़ी चुनावी रैली को संबोधित किया है। ऐसे में उस रैली के बाद माहौल के और बदलने की संभावना जताई जा रही है। खासतौर से वेस्ट दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में बीजेपी की स्थिति और सुधरने की उम्मीद है।
पार्टी को टॉप लीडरशिप ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। शाह ने अकेले दिल्ली की 50 विधानसभाएं नाप डालीं, जो अपने आप में एक नया रेकॉर्ड है। बीजेपी के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अमित शाह ने 23 जनवरी से दिल्ली विधानसभा चुनावों के प्रचार शुरू किया था। 6 फरवरी की शाम को प्रचार खत्म होने तक वह दिल्ली की 41 विधानसभा क्षेत्रों में जनसभाएं और 12 इलाकों में रोड शो कर चुके थे। वहीं, पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने भी दिल्ली में 29 जनसभाओं के साथ-साथ 15 रोड शो किए। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी प्रचार के दौरान काफी सुर्खियां बंटोरीं।
शाह ने रैलियों में उमड़े जैनसैलाब की कई तस्वीरें ट्वीट कीं। मादीपुर और सीमापुरी विधानसभा क्षेत्रों में अपने रोडशो के फोटो शेयर करते हुए उन्होंने कहा कि बड़ी तादाद में उमड़ते लोग इस बात के सबूत हैं कि बीजेपी दिल्ली में कितना लोकप्रिय है। शाह ने गुरुवार को कहा, ‘दिल्ली के लोगों से संपर्क हुआ तो यह स्पष्ट उभर कर आया कि वो झूठे वादों, तुष्टीकरण की राजनीति और अराजकता से त्रस्त हैं। वो अब विकास चाहते हैं। दिल्ली में बीजेपी को मिल रहे समर्थन को देखते हुए स्पष्ट है कि 11 फरवरी को बीजेपी 45 से ज्यादा सीटें जीतकर दिल्ली में सरकार बनाने जा रही है।’
एबीपी न्यूज – सी वोटर के ओपिनियन पोल के नतीजे भी बताते हैं कि बेजेपी के शीर्ष नेतृत्व का पार्टी पर सकारात्मक असर हुआ है। सर्वे के मुताबिक, 61 प्रतिशत लोगों ने माना कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों से बीजेपी को फायदा होने वाला है। जब लोगों से पूछा गया कि शाह की जनसभाओं से हवा का रुख बीजेपी की तरफ होगा तो 53 फीसदी ने हां में जवाब दिया जबकि 29 फीसदी लोगों को ऐसा होता नहीं लग रहा है। वहीं, 11 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कहना मुश्किल है। इसी सर्वे में राय देने वाले 62 प्रतिशत लोगों ने कहा कि शाहीन बाग का धरना गलत है। वहीं, 83 प्रतिशत लोगों का मानना है कि शाहीन बाग का धरना सियासी मुद्दा बन चुका है। 39 प्रतिशत लोगों ने यह भी माना कि शाहीन बाग के मुद्दे से चुनाव में बीजेपी को फायदा होगा। हालांकि, सर्वे में यह भी कहा गया है कि सरकार में फिर आप की ही वापसी होगी। (आंकलन साभार एनबीटी से)