राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी के मुताबिक, उत्तराखंड के गंगोत्री नैशनल पार्क में देश के पहले स्नो लेपर्ड कंजर्वेशन सेंटर के निर्माण के लिए पहली किश्त के रूप में 85 लाख रुपए का बजट मंजूर हो गया है। गंगोत्री नेशनल पार्क, गोविन्द वन्यजीव विहार से लेकर अस्कोट अभयारण्य तक का क्षेत्र इस प्रॉजेक्ट के अंतर्गत प्रस्तावित किया गया है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के इस सिक्योर हिमालय प्रॉजेक्ट पर काम शुरू हो जाएगा। प्रस्तावित सेंटर में स्नो लेपर्ड प्रशिक्षण के साथ ही रिसर्च वर्क भी होंगे। हिम तेंदुए आम तौर पर तीन हजार मीटर या इससे ऊंची जगहों पर देखे जाते हैं। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने इन्हें लुप्तप्राय जानवर की श्रेणी में रखा है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के गोरी घाटी में वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर के कैमरे में इन्हें कैद किया जा चुका है।
स्नो लेपर्ड कंजर्वेशन सेंटर गंगोत्री पार्क के प्रवेश द्वार भैरोघाटी में करीब 2800 फीट की ऊंचाई पर लंका पुल के पास बनेगा। इसका डिजाइन नीदरलैंड के मशहूर आर्किटेक्ट प्रो.ऐने फीनिस्त्र ने तैयार किया है। इसमे 5.30 करोड़ की लागत का अनुमान लगाया गया है। उत्तराखंड समेत चार हिमालयी राज्यों में चल रहे सिक्योर हिमालय प्रोजेक्ट के तहत उच्च हिमालयी क्षेत्र की शान हिम तेंदुओं (स्नो लेपर्ड) के संरक्षण की पहल की गई है। इस प्रोजेक्ट से स्थानीय ग्रामीणों का रोजगार भी जुड़ेगा।
गौरतलब है कि सिक्योर हिमालय प्रोजेक्ट के तहत राज्य के उच्च हिमालयी क्षेत्र में हिम तेंदुओं की गणना का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है, लेकिन कोरोना संकट के चलते यह भी अब आगे खिसक गई है। पहले गणना के तहत मार्च में हिम तेंदुआ संभावित स्थल चिह्नित होने थे और इसके बाद जगह- जगह कैमरा ट्रैप लगाए जाने के साथ ही अन्य कदम उठाए जाने थे। अब यह कार्य भी स्थिति सामान्य होने के बाद ही शुरू हो पाएगा।
उच्च हिमालयी क्षेत्र में दुर्लभ हिम तेंदुओं की मौजूदगी हमेशा से हर किसी की उत्सुकता के केंद्र में रही है। आखिर यहां हिम तेंदुओं की वास्तविक संख्या है कितनी है, तथ्यतः यही जानने के लिए राज्य में पहली बार हिम तेंदुओं की गणना कराई जानी है, जो गंगोत्री से लेकर अस्कोट अभयारण्य तक के उच्च हिमालयी क्षेत्र में होगी। इससे पहले गोविंद वन्यजीव विहार और अस्कोट अभ्यारण्य के अंतर्गत 60 गांवों के अलावा इन सेंचुरियों के साथ ही गंगोत्री नेशनल पार्क से सटे गांवों के निवासियों के साथ बैठकें भी का जानी हैं। वे स्थल चिह्नित किए जाएंगे, जहां अक्सर हिम तेंदुए नजर आते हैं। हिम तेंदुओं की गणना का कार्य दो साल के भीतर पूरा करने का लक्ष्य है लेकिन लॉकडाउन के कारण अब यह अवधि आगे खिसक सकती है।