कोरोना महामारी के कारण देशभर में लॉकडाउन के बीच पांच साल से कम उम्र के करीब 50 प्रतिशत बच्चों के माता-पिता उन्हें टीके नहीं लगवा सके हैं। एनजीओ चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। क्राई ने 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में ऑनलाइन अध्ययन किया और बच्चों पर महामारी के विभिन्न प्रभावों के बारे में बातचीत की। लॉकडाउन के पहले और दूसरे चरण में सर्वेक्षण कराया गया। देशभर से करीब 1100 माता-पिता ने इसमें भाग लिया और सवालों के जवाब दिए। कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर के बच्चों के लिए एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है। इस वायरस के खिलाफ जंग के तहत कई देशों ने अपने यहां राष्ट्रीय टीकाकरण के कार्यक्रम स्थगित कर दिए हैं। इससे दुनिया भर के करीब 10 करोड़ से अधिक बच्चों को खसरे का खतरा हो सकता है। कई वैश्विक स्वास्थ्य संगठनों के प्रतिनिधियों ने बच्चों के लिए पैदा हुए इस खतरे पर गंभीर चिंता जताई है।
अध्ययन के अनुसार, देश के सभी क्षेत्रों में टीकाकरण अभियान को बड़ा झटका लगा है और उत्तरी राज्यों में जिन लोगों ने सर्वे में भाग लिया उनमें 63 प्रतिशत ने टीका नहीं लगवा पाने की बात कही। सर्वेक्षण के निष्कर्ष के अनुसार केवल आधे अभिभावक (51 प्रतिशत) अपने पांच साल से छोटे बच्चों को आवश्यक टीके लगवा पाए। बिजनेस स्टैंडर्स के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है कि हर चार (27 प्रतिशत) में से एक अभिभावक ने बताया कि उन्हें लॉकडाउन के कारण स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
क्राई की मुख्य कार्यकारी अधिकारी पूजा मारवाह ने कहा, ‘अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि भले ही बच्चे कोरोना वायरस महामारी के स्वास्थ्य प्रभावों से काफी हद तक बचे हुए हैं, लेकिन दूसरे शारीरिक, मानसिक दुष्प्रभावों के शिकार हुए हैं।’ गौरतलब है कि हाल ही में बच्चों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनिसेफ ने कोरोना वायरस महामारी के कारण बच्चों के टीकाकरण में पैदा हुए अवरोधों पर चिंता जताते हुए चेतावनी दी थी कि अगर दक्षिण एशिया में बच्चों को जीवनरक्षक टीके नहीं लगाए जाते तो क्षेत्र में एक और स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति पैदा हो सकती है।
यूनिसेफ ने कहा था कि दुनियाभर में जितने बच्चों के टीके नहीं लग पाते या कम टीके लग पाते हैं, उनके करीब एक चौथाई, यानी लगभग 45 लाख बच्चे दक्षिण एशिया में रहते हैं। इनमें से लगभग सभी या 97 प्रतिशत भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बाशिंदे हैं। उससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ ने कहा था कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण टीकाकरण अभियान सीमित कर देने से दुनियाभर में 11.7 करोड़ बच्चे खसरा (Measles) के खतरे का सामना कर रहे हैं। वर्तमान में 24 देशों ने टीकाकरण का काम रोक दिया गया है। इसमें से कई देश खसरा के खतरे का पहले से सामना कर रहे हैं। इसके अलावा कोरोना वायरस के कारण 13 अन्य देशों में भी टीकाकरण कार्यक्रम प्रभावित हुआ है।