राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया ने कहा है कि उत्तराखंड के 40 लाख गोल्डन कार्ड धारक नेशनल पोर्टेबिलिटी से जुड़ने से अब प्रदेश से बाहर देश भर में चिह्नित 22 हजार अस्पतालों में भी इलाज करा सकते हैं लेकिन इलाज पर खर्च की सीमा पांच लाख ही रहेगी। इस प्रयास से गोल्डन धारकों को गंभीर बीमारियों का इलाज दूसरे राज्यों के बड़े निजी अस्पताल में की सुविधा मिलेगी। प्रदेश से बाहर इलाज कराने वालों को इसके लिए पहले सरकारी या चिह्नित प्राइवेट डॉक्टरों से रैफरल लेना आवश्यक होगा। इसके अलावा प्रदेश से बाहर इलाज कराने के मामलों का विशेष ऑडिट किया जाएगा।
उत्तराखंड में गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को इससे खासी राहत मिलेगी। प्रदेश सरकार ने कुछ समय पहले अटल आयुष्मान योजना के तहत गोल्डन कार्ड धारकों को प्रदेश से बाहर इलाज कराने की अनुमति प्रदान की थी। इसके लिए अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के अध्यक्ष डीके कोटिया ने कुछ समय पूर्व नेशनल हेल्थ अथॉरिटी को पत्र लिखकर अनुमति देने का अनुरोध किया था। इस पर अब नेशनल हेल्थ अथॉरिटी ने अनुमति प्रदान कर दी है।
कोरोना संकट में उत्तराखंड अटल आयुष्मान योजना के लगभग 40 लाख गोल्डन कार्ड धारकों को राज्य से बाहर इलाज की सुविधा मिलना प्रदेश के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण सौगात है।। सभी आयुष्मान गोल्डन कार्ड नेशनल पोर्टेबिलिटी से जुड़ चुके हैं। वहीं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने भी प्रदेश से बाहर के योजना में पंजीकृत अस्पताल में इलाज की मंजूरी दे दी है।
प्रदेश में अटल आयुष्मान योजना में दो तरह के गोल्डन कार्ड हैं। केंद्रीय अटल आयुष्मान योजना में 5.37 लाख परिवार हैं। प्रदेश सरकार ने योजना का दायरा बढ़ाते हुए प्रदेश के सभी 23 लाख परिवारों को योजना में पांच लाख तक निशुल्क इलाज की सुविधा दी थी। इसमें लगभग 40 लाख गोल्डन कार्ड धारक ऐसे थे, जिन्हें सिर्फ प्रदेश के भीतर ही इलाज की सुविधा दी थी।
जबकि 5.37 लाख कार्ड धारक देश के किसी भी पंजीकृत निजी अस्पताल में इलाज सकते थे। प्रदेश सरकार ने सभी गोल्डन कार्ड धारकों को नेशनल पोर्टेबिलिटी से जोड़ दिया। जिसके चलते अब गोल्डन कार्ड धारक उत्तराखंड से बाहर चिकित्सा सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे।