महामारी के बीच में प्रधानमंत्री के नाम पर स्थापित किया गया नया फंड, प्राइम मिनिस्टर्स सिटीजेन असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशंस या पीएमकेयर्स फंड, शुरू से सवालों के घेरे में रहा है. प्रधानमंत्री के नाम पर देश में एक फंड पहले से है जिसका नाम है प्राइम मिनिस्टर्स नेशनल रिलीफ फंड और जिसके जरिए पिछले 72 सालों से कई तरह के जरूरतमंदों की वित्तीय सहायता की जा रही है.
ऐसे में एक नए फंड की क्या जरूरत थी और पुराने फंड में ऐसी क्या कमी थी जिसे ये नया फंड पूरा करेगा? इस तरह के कई सवाल पीएमकेयर्स फंड को ले कर उठ रहे थे. 13 मई को पहली बार प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस फंड से जुड़े कुछ सवालों का जवाब देने की कोशिश की है. पहली बार इस फंड से कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में सहायता देने के लिए 3,100 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
इसमें से लगभग 2,000 करोड़ रुपये वेंटीलेटर खरीदने के लिए, 1,000 करोड़ प्रवासी श्रमिकों की सहायता के लिए और 100 करोड़ वैक्सीन बनाने की कोशिशों के लिए उपयोग किए जाएंगे. योजना है कि इन रुपयों से 50,000 ‘मेड इन इंडिया’ वेंटीलेटर खरीदे जाएंगे और उन्हें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोविड-19 से लड़ने के लिए चिन्हित किए गए सरकारी अस्पतालों को दिया जाएगा.
प्रवासी श्रमिकों के लिए सहायता राशि को भी प्रदेशों में बांट दिया जाएगा और जिला कलेक्टर और म्युनिसिपल कमिश्नर जरूरत के हिसाब से उसका उपयोग श्रमिकों के लिए रहने, यात्रा करने, खाने-पीने और इलाज की सुविधाओं के लिए कर पाएंगे. यह घोषणा इस नए फंड की स्थापना के लगभग डेढ़ महीने बाद की गई है. फंड की स्थापना 27 मार्च को हुई थी. प्रधानमंत्री (एक्स-ऑफिशियो) इसके अध्यक्ष हैं और रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री इसके ट्रस्टी हैं.
इस डेढ़ महीने में इस कोष में कितना पैसा आया है इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है. मीडिया में आई खबरों के अनुसार स्थापना के पहले हफ्ते में ही इसमें लगभग 6,500 करोड़ रुपए आ गए थे. इसके विपरीत पीएमएनआरएफ की वेबसाइट पर फंड में कितना पैसा आया, कितना खर्च हुआ और कितना बचा है इसकी जानकारी सार्वजनिक है. इस कोष में इस समय 3,800 करोड़ रुपए हैं. दोनों ही कोशों में दान करने पर इनकम टैक्स से छूट मिलती है.
हां, जानकारों का कहना है कि पीएमकेयर्स फंड को एक अतिरिक्त सुविधा जरूर मिली है जो पीएमएनआरएफ के पास नहीं है. नए फंड में कंपनियों द्वारा योगदान को उनके सामाजिक दायित्व खर्चे या सीएसआर के तहत दिखाया जा सकता है. कई कंपनियों ने कई सौ करोड़ रुपये नए फंड में देने की घोषणा की है.
इनमें से कुछ की सोशल मीडिया पर आलोचना भी हुई है क्योंकि इन कंपनियों ने कोविड-19 और तालाबंदी की वजह से हुए नुक्सान का हवाला दे कर अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन नहीं दिया है. ऐसी भी खबरें आई हैं कि फंड के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए सूचना के अधिकार के तहत दायर किए गए आवेदनों को भी नकार दिया गया है.