कोरोना संकट में मोदी सरकार के 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज का खुलासा :: कोरोना संकट के दौर में केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को मजबूती प्रदान के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के कोलैटरल फ्री ऑटोमैटिक लोन देने का ऐलान किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने आज बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि एमएसएमई के अंतर्गत कुटीर उद्योगों और गृह उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए छह नए कदम उठाए गए हैं। इस सेक्टर के लिए 4 हजार करोड़ रुपये की क्रेडिट गारंटी दी जाएगी, जिससे देश की इस दर्जे की दो लाख कंपनियों को फायदा होगा।
वित्त मंत्री ने यह बताया कि आत्मनिर्भर भारत के लिए 20 लाख करोड़ के विशेष पैकेज के तहत किस सेक्टर को कितना पैसा दिया जाएगा। सरकार ने एमएसएमई, एनबीएफसी, एमएफआई, डिस्कॉम, रियल एस्टेट, टैक्स और कॉन्ट्रैक्टर्स को राहत देने के लिए 15 घोषणाएं की हैं। एमएमएमई को 3 लाख करोड़ का लोन दिया जाएगा। इससे 45 लाख उद्योगों को फायदा होगा। पीएफ में सरकार भी अपना योगदान देगी, इससे करीब 70.22 लाख कर्मचारियों को फायदा होगा। इसके अलावा, मार्च 2021 तक टीडीएस की दरों में 25 प्रतिशत तक कटौती की जाएगी। इससे 55 हजार करोड़ रुपए का फायदा होगा। आयकर रिटर्न की तारीख भी 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 नवंबर कर दी गई है। टैक्स ऑडिट की डेट भी अब 30 सितंबर की जगह 31 अक्टूबर कर दी गई है।
गौरतलब है कि देश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग, कुटिर उद्योग और गृह उद्योग मिलकर 12 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार देते हैं। इनके लिए 3 लाख करोड़ रुपये का कोलैटरल फ्री ऑटोमैटिक लोन का प्रवाधान किया गया है। किसी को अपनी ओर से किसी तरह की गारंटी देने की जरूरत नहीं है। इसकी समयसीमा भी चार वर्ष की होगी। पहले एक वर्ष में मूलधन वापस नहीं करना पड़ेगा। 31 अक्टूबर, 2020 से इस स्कीम का फायदा उठाया जा सकता है। इस योजना का लाभ लेकर 45 लाख यूनिट बिजनस ऐक्टविटी दोबारा शुरू कर सकते हैं और उनके यहां नौकरियां बचाई जा सकती हैं। जो एमएसएमई अच्छा कर रहे हैं और वे बिजनस का विस्तार करना चाहते हैं, अपना आकार और क्षमता बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें सुविधा नहीं मिल पा रही है, उनके लिए फंड ऑफ फंड्स के जरिए फंडिंग मिलेगी।
उन्होंने बताया कि अब एमएसएमई के हित में इसकी परिभाषा बदल दी गई है। ये बदलाव मैन्युफैक्चिरिंग और सर्विस, दोनों इडंस्ट्रीज पर लागू होंगे। एक करोड़ रुपये तक निवेश करके 5 करोड़ तक का व्यापार करने वाली इंडस्ट्री सूक्ष्म, 10 करोड़ तक का निवेश और 50 करोड़ तक व्यापार करने वाली इंडस्ट्री लघु, जबकि 20 करोड़ तक का निवेश और 100 करोड़ रुपये तक का व्यापार करने वाली इंडस्ट्री मध्यम कहलाएगी। उन्होंने बताया कि 200 करोड़ रुपये तक की सरकारी खरीद में ग्लोबल टेंडर की अनुमति नहीं होगी। सरकार को घरेलू कंपनियों से टेंडर मंगवाने की बाध्यता होगी। इससे ‘लोकल के लिए वोकल’ के मंत्र को मजबूती मिलेगी। स्थानीय उत्पादों और सेवाओं के अंतर्गत आने वाले एमएसएमई को ई-मार्केट लिंकेज किया जाएगा। ट्रेड फेयर में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के पास उनका बकाया है तो अगले 45 दिनों में बकाया भुगतान करवाने की कोशिश की जाएगी।
इस घोषणा का सबसे बड़ा फायदा ये मिलने जा रहा है कि लोन 4 साल के लिए और 100 फीसदी गारंटी फ्री है। यह उन उद्योगों को मिलेगा, जिनका बकाया लोन 25 करोड़ से कम हो और टर्नओवर 100 करोड़ से ज्यादा न हो। 10 महीने तक लोन चुकाने में छूट मिलती रहेगी।
31 अक्टूबर 2020 तक ही इस लोन के लिए अप्लाई किया जा सकेगा। किसी भी तरह का अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा। इससे 45 लाख एमएसएमई को मिलेगा फायदा मिलेगा। अच्छी एमएसएमई के लिए 50 हजार करोड़ का फंड ऑफ फंड बनेगा, जिसमें सभी छोटे उद्योगों को शामिल किया जाएगा। माइक्रो इंडस्ट्री के लिए 25 लाख से बढ़ाकर निवेश एक करोड़ कर दिया गया है। स्माल इंडस्ट्री के लिए 10 करोड़ तक का निवेश और 50 करोड़ तक का कारोबार, मध्यम के लिए 20 करोड़ निवेश और 100 करोड़ के कारोबार को मंजूरी है।
बताया गया है कि गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों की लिक्विडिटी की समस्या दूर करने के लिए 30 हजार करोड़ रुपए की स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम शुरू होगी। एनबीएफसी के साथ हाउसिंग फाइनेंस और माइक्रो फाइनेंस को भी इसी 30 हजार करोड़ में जोड़ा गया है। इनकी पूरी गारंटी भारत सरकार देगी। 45,000 करोड़ रुपए की आंशिक क्रेडिट गारंटी एनबीएफसी को दी जाएगी। इसमें एए पेपर्स और इसके नीचे के रेटिंग वाले पेपर्स को भी कर्ज मिलेगा। अनरेटेड पेपर्स के लिए भी इसमें प्रावधान किया गया है। इससे नई लेंडिंग को बढ़ावा मिलेगा।
मुश्किल में घिरी राज्यों की पावर जनरेटिंग कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए 90,000 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। डिस्कॉम यानी पावर जनरेटिंग कंपनियों को इससे फायदा मिलेगा। बिजली वितरण कंपनियों की आय में भारी कमी आई है। बिजली उत्पादन और वितरण करनेवाली कंपनियों के लिए यह प्रावधान किया गया है। 90 हजार करोड़ रुपए सरकारी कंपनियों पीएफसी, आरईसी के माध्यम से दिया जाएगा। कॉन्ट्रैक्टर को 6 महीने की राहत बिना किसी शर्त के दी जाएगी। सभी सरकारी एजेंसियां जैसे रेलवे, रोडवेज कॉन्ट्रैक्ट में 6 महीने का एक्सटेंशन देंगी। इन 6 महीनों के दौरान कॉन्ट्रैक्टर को बिना किसी शर्त के राहत दी जाएगी। मसलन, 70 प्रतिशत किसी ने काम किया है तो उसकी बाकी की 30 प्रतिशत गारंटी उसे वापस की जा सकती है। जितना काम होगा, उस आधार पर यह गारंटी रिलीज की जा सकती है।
केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि सभी फर्म और कंपनियां जहां 100 से कम कर्मचारी काम करते हैं और उनकी सैलरी 15 हजार से कम है, तो उनके पीएफ का पैसा सरकार देगी। ऐसे कर्मचारियों की सैलरी का 24 प्रतिशत हिस्सा सरकार उनके पीएफ में जमा करेगी। अब कंपनियां कर्मचारियों के पीएफ में अपना हिस्सा 12 प्रतिशत की जगह 10 प्रतिशत तक कर सकेंगी। सरकार ने ईपीएफ कंट्रीब्यूशन को तीन महीने के लिए आगे बढ़ाया है, अब अगस्त तक ईपीएफ में सरकार मदद करेगी। सरकार 70.22 लाख कर्मचारियों की मदद के लिए 2,500 करोड़ रुपए खर्च करेगी। टीडीएस की दरों में 25 प्रतिशथ की कमी की जाएगी। यह सभी पेमेंट पर लागू होगा, चाहे वह कमीशन हो, ब्रोकरेज हो या कोई अन्य पेमेंट। दरों में कमी 13 मई से लागू होगी और मार्च 2021 तक रहेगी। टीडीएस कटौती से 55 हजार करोड़ रुपए का लाभ होगा। जिनके भी रिफंड लंबित हैं, उन्हें जल्द से जल्द भुगतान किया जाएगा। छोटे उद्योग हों, पार्टनरशिप वाले उद्योग हों, एलएलपी हों, या कोई अन्य उद्योग, सभी को जल्द से जल्द भुगतान होगा।